पटना, बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार का मंगलवार को विस्तार हो गया है. नीतीश की नई कैबिनेट में 31 नेताओं को राज्यपाल फागू चौहान ने मंत्री पद की शपथ दिलाई है, बिहार की नई सरकार में आरजेडी से 16, जेडीयू से 11, कांग्रेस से 2, हम से एक और एक निर्दलीय […]
पटना, बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार का मंगलवार को विस्तार हो गया है. नीतीश की नई कैबिनेट में 31 नेताओं को राज्यपाल फागू चौहान ने मंत्री पद की शपथ दिलाई है, बिहार की नई सरकार में आरजेडी से 16, जेडीयू से 11, कांग्रेस से 2, हम से एक और एक निर्दलीय ने शपथ ली है. जेडीयू के कोटे से एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाया गया, इस तरह नीतीश के हिस्से में कुल 12 मंत्री पद आए हैं, जबकि आरजेडी के खाते में 16 मंत्री पद आए हैं.
जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव एक बार फिर मंत्री बने हैं, प्रसाद नीतीश सरकार में यादव चेहरा है. ये बिहार के कोसी क्षेत्र से आते हैं, जहां का यादव मतदाता काफी अहम भूमिका निभाता है. बता दें, सुपौल सीट से बिजेंद्र प्रसाद यादव ने लगातार आठवीं बार जीत दर्ज की है.
जेडीयू कोटे से अशोक चौधरी को नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपनी कैबिनेट में जगह दी है. चौधरी महादलित समुदाय से आते हैं और जेडीयू की दलित राजनीति के फॉर्मूले में फिट होते हैं. हालांकि, अशोक चौधरी एमएलसी भी हैं. अशोक चौधरी ने मार्च 2018 में कांग्रेस को अलविदा कहते हुए जेडीयू का दामन थामा था. अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का करीबी और विस्वासू माना जाता है.
जेडीयू कोटे से विजय चौधरी को नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है, विजय चौधरी भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. बिहार की राजनीति में भूमिहार बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं. विजय चौधरी नीतीश की अगुवाई वाली पिछली महागठबंधन सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी थे, लेकिन साल 2020 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था और अब वो फिर से महागठबंधन सरकार में मंत्री बने हैं.
जेडीयू कोटे से लेसी सिंह एक बार फिर से मंत्री बनी हैं, इससे पहले नीतीश की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में भी लेसी खाद्य-उपभोक्ता मंत्री पद का जिम्मा संभाल रही थीं. नीतीश कुमार के साथ लेसी सिंह समता पार्टी के जमाने से जुड़ी हुई हैं, लेसी सीमांचल से आती हैं और धमदाहा विधानसभा सीट से विधायक हैं. सिंह साल 2014 में आपदा प्रबंधन और समाज कल्याण मंत्री बनी थीं. पूर्णिया के सरसी में लेसी सिंह का जन्म 5 जनवरी 1974 को हुआ था, सिंह यादव समुदाय से आती हैं.
जेडीयू कोटे से शीला मंडल को भी मंत्री बनाया है, बिहार में अतिपिछड़ा समुदाय की धानुक जातीय से शीला मंडल ताल्लुक रखती हैं, धानुक वर्ग नीतीश का मजबूत वोटबैंक माना जाता है. मंडल मिथिलांचल के फुलपरास से जेडीयू की विधायक हैं, मंडल एनडीए सरकार में भी मंत्री थी.
जेडीयू कोटे से श्रवण कुमार एक बार फिर से मंत्री बने हैं, वो नीतीश कुमार की कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं. श्रवण कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आते हैं. कुमार साल 1995 से लगातार नालंदा विधान सभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और जेडीयू के सियासी समीकरण के लिहाज से काफी फिट माने जाते हैं. श्रवण कुमार समता पार्टी के दौर से नीतीश के साथ हैं और और सीएम के काफी करीब हैं. ‘
जेडीयू कोटे से सुनील कुमार को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. वह गोपालगंज जिले के भोरे सीट से जेडीयू के विधायक हैं, नीतीश कुमार ने सुनील कुमार को मंत्रिमंडल में जगह देकर दलित राजनीति को साधने का काम किया है. सुनील कुमार बिहार पुलिस के एडीजी रहे हैं और वो सेवानिवृत्ति के बाद 2020 में उन्होंने जेडीयू का दामन थामा था और पहली बार में विधायक बने और उसके बाद एनडीए सरकार में मंत्री रहे, जिसके बाद उन्हें दूसरी बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
जेडीयू कोटे से मदन सहनी एक बार फिर मंत्री बने हैं, एनडीए सरकार में सहनी समाज कल्याण मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे थे. मदन सहनी दरभंगा जिले के बहादुरपुर विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने हैं, वो अतिपिछड़े समुदाय से आते हैं, जो जेडीयू का मजबूत वोटबैंक माना जाता है, इसीलिए उन्हें कैबिनेट में दोबारा जगह दी गई है.
नीतीश कुमार का दाहिना हाथ माने जाने वाले संजय कुमार झा एक बार फिर से मंत्री बने हैं. झा मिथिलांचल से आते हैं और ब्राह्मण समुदाय से हैं. एनडीए सरकार में संजय झा जलसंसाधन, सूचना और जनसंपर्क सहकारिता मंत्री थे, इनकी गिनती नीतीश कुमार के करीबियों में की जाती है.
जेडीयू कोटे से जमा खान एक बार फिर से मंत्री बने हैं, जमा खान 2020 में कैमूर जिले की चैनपुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने जेडीयू का दामन थाम लिया था, जिसके बाद उन्हें अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया था. जमा खान बिहार के भोजपुर इलाके से आते हैं और जेडीयू में ये इकलौते मुस्लिम चेहरे हैं.
जेडीयू कोटे से जयंत राज कुशवाहा को मंत्री बनाया गया है, ये बांका क्षेत्र से आते हैं. इससे पहले एनडीए सरकार में जयंत राज नीतीश कैबिनेट के सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे. उनकी उम्र सिर्फ 36 साल है, उनके पिता जनार्दन मांझी दो बार अमरपुर और एक बार बेलहर से विधायक रहे हैं.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव एक बार फिर मंत्री बने हैं, तेज प्रताप दो बार विधायक रहे हैं. पहली बार महुआ सीट से विधायक रहे हैं और इस बार ये हसनपुर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, साल 2015 में बनी महागठबंधन सरकार में तेज प्रताप स्वास्थ्य मंत्री थे.
आरजेडी कोटे से आलोक मेहता को मंत्री बनाया गया है, मेहता लालू परिवार के बेहद करीबी और सुलझे हुए नेता हैं. आलोक मेहता आरजेडी में उन नेताओं में गिने जाते हैं जो अपनी सादगी और सूझबूझ से आरजेडी जैसी पार्टी में भी अपनी बेदाग़ छवि के लिए जाने जाते हैं. ये कोइरी समाज से आते हैं और आरजेडी का अतिपिछड़ा चेहरा हैं.
आरजेडी कोटे से सुरेंद्र यादव को मंत्री बनाया गया है, 7 बार बेलागंज विधानसभा सीट के विधायक और लोकसभा सांसद रहे सुरेंद्र प्रसाद यादव साउथ बिहार इलाके से आते हैं, सुरेंद्र प्रसाद यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी के ख़ास माने जाते हैं. सुरेंद्र यादव जहानाबाद सीट से सांसद रह चुके हैं और दबंग नेता माने जाते हैं. सांसद रहते हुए यादव ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को फाड़ दिया था.
आरजेडी कोटे से रामानंद यादव मंत्री बने हैं, लालू परिवार के करीबी और पार्टी के कद्दावर नेताओं में इनकी गिनती की जाती है. बिहार के फतुहा विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक बने हैं, रामानंद यादव आरजेडी के कोर वोटबैंक यादव समुदाय से आते हैं.
आरजेडी कोटे से समीर कुमार महासेठ मंत्री बने हैं, समीर महासेठ मिथालांचल के मधुबनी विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने हैं. वह अपने छात्र जीवन से ही यानी 1977 से ही राजनीति में शामिल हुए थे. महासेठ साल 2003 से 2009 तक एमएलसी रहे थे, समीर अतिपिछड़े समुदाय के सूड़ी समाज से आते हैं.
आरजेडी कोटे से चंद्रशेखर यादव भी मंत्री बने हैं, लालू परिवार के करीबी माने जाने वाले चंद्रशेखर को कैबिनेट में शामिल किया गया है, जो आरजेडी के कोर वोटबैंक यादव समुदाय से आते हैं.
आरजेडी कोटे से इसराइल मंसूरी मंत्री बने हैं, ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार में धुनिया समाज से कोई मंत्री और विधायक बना है. मंसूरी मुजफ्फरपुर की कांटी विधानसभा से विधायक हैं.. इसराइल मुस्लिम समुदाय के अत्यंत पिछड़े वर्ग के धुनिया जाति से आते हैं, आजादी के बाद बिहार में ये पहली बार है जब मंसूरी समाज का कोई नेता विधानसभा में है.
आरजेडी कोटे से कुमार सर्वजीत को भी मंत्री बनाया गया है, सर्वजीत बोधगया विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. सर्वजीत आरजेडी का दलित चेहरा माने जाते हैं. वो साउथ बिहार से आते हैं और दलित समीकरण को देखते हुए इन्हें मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है, सर्वजीत के पिता मगध से सांसद रह चुके हैं. साल 2005 के विधानसभा चुनाव में गया जिले के इमामगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से लोजपा के टिकट पर राजेश कुमार चुनाव लड़ रहे थे, जिस दौरान एक चुनावी सभा के समय इनकी हत्या कर दी गई थी. पिता की हत्या के बाद ही कुमार सर्वजीत ने कदम रखा था. बोधगया के राजद विधायक कुमार सर्वजीत अपने पिता पूर्व सांसद स्व. राजेश कुमार की राजनीतिक विरासत को संभालते हुए मगध दलितों के साथ-साथ सभी जाति के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.
आरजेडी कोटे से अनीता देवी मंत्री बनी हैं, ये आरजेडी की पहली महिला मंत्री हैं जबकि नीतीश मंत्रिमंडल में तीसरी महिला मंत्री हैं. अनीता देवी तेजस्वी यादव की करीबी मानी जाती हैं और वो अतिपिछड़ा समुदाय के आती हैं. रोहतास जिला के नोखा विधानसभा क्षेत्र के महागठबंधन के राजद का नेतृत्व कर विधायक बनी अनिता देवी महागठबंधन सरकार में पर्यटन मंत्री बनाई गई हैं.
आरजेडी कोटे से ललित यादव मंत्री बनाए गए हैं, ये मिथालांचल के दरभंगा ग्रामीण सीट से विधायक हैं. मिथिला के सियासी समीकरण को देखते हुए तेजस्वी यादव ने ललित यादव को अपनी कैबिनेट में जगह दी है. ललित यादव भी आरजेडी के कोर वोटबैंक यादव समुदाय से आते हैं.
आरजेडी कोटे से सुधाकर सिंह मंत्री बने हैं, सुधाकर सिंह आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. साल 2020 में रामगढ़ सीट से आरजेडी के विधायक बने हैं, वहीं, बिहार के सियासी समीकरण को देखते हुए आरजेडी ने राजपूत चेहरे के तौर पर उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है.
आरजेडी कोटे से जितेंद्र कुमार राय को मंत्री बनाया गया है, राय सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. उनके पिता यदुवंशी राय भी इस सीट से दो बार विधायक रहे हैं, वो यादव समुदाय से आते हैं और दिग्गज नेता माने जाते हैं, भोजपुरी बेल्ट में इनकी अच्छी पहुँच है.
आरजेडी कोटे से एमएलसी कार्तिक सिंह को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. आनंत सिंह के करीबी माने जाने वाले कार्तिक सिंह अपने समर्थकों के बीच ‘कार्तिक मास्टर’ के नाम से काफी मशहूर हैं. साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिक मास्टर और अनंत सिंह की दोस्ती परवान चढ़ी थी, जिसके बाद अनंत सिंह के अहम चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिक मास्टर को पहचान मिली. भूमिहार वोटों के समीकरण को देखते हुए आरजेडी ने कार्तिक सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया है.
आरजेडी कोटे से शाहनवाज आलम को मंत्री बनाया गया है, शाहनवाज़ दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. साल 2020 में शाहनवाज़ AIMIM के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन बाद में उन्होंने आरजेडी का दामन थाम लिया. ये सीमांचल के इलाके से आते हैं और अरारिया जिले की जोकीहाट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
आरजेडी कोटे से सुरेंद्र राम को मंत्री बनाया गया है, सारण के गरखा सीट से आरजेडी के विधायक हैं. आरजेडी की दलित राजनीति के तहत सुरेंद्र राम को कैबिनेट में जगह दी गई है.
आरजेडी कोटे से शमीम अहमद मंत्री बने हैं, अहमद पूर्वी चंपारण के नरकटिया सीट से दूसरी बार विधायक बने हैं. शमीम पेश से डॉक्टर हैं और इन्होने साल 2010 में पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन उस चुनाव में हार गए तह. उनके पिता भी डाक्टर रहे हैं, अहमद आरजेडी के मुस्लिम राजनीति के लिए फिट माने जाते हैं.
मुरारी लाल गौतम
कांग्रेस कोटे से मुरारी लाल गौतम को मंत्री बनाया गया है. मुरारी लाल गौतम सासाराम जिले के चेनारी विधानसभा सीट से वो विधायक हैं. बिहार में कांग्रेस की दलित राजनीति के रूप में उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है ताकि अपने कोर वोटबैंक को साधा जा सके.
कांग्रेस से आफाक आलम को मंत्री बनाया गया हैं, ये चार बार विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस के टिकट पर इन्होने साल 2005 से लगातार चुनाव जीता है और विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता रहे हैं. कांग्रेस में मुस्लिम चेहरे के तौर पर उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) से उनके बेटे संतोष सुमन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, मांझी महादलित समुदाय से आते हैं और विधान परिषद सदस्य हैं. एनडीए सरकार के दौरान भी मांझी मंत्री थे.
निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को भी नीतीश मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. सुमित सिंह को उन्हें जेडीयू कोटे से मंत्री बनाया गया है और इससे पहले भी एनडीए सरकार के दौरान सुमित सिंह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे हैं. सुमित सिंह बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं और उनके दादा श्रीकृष्णानंद सिंह दो बार चकई से चुनाव जीतकर विधायक रह चुके हैं, सुमित सिंह जमुई जिले की चकिया सीट से निर्दलीय विधायक हैं और अब इन्हें कैबिनेट में स्थान दिया गया है.
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