Bihar Assembly Election 2020: मुंगेर पुलिस का कहना है कि दुर्गा पूजा समिति के लोगों ने पत्थरबाजी और फायरिंग की जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. सवाल ये कि पुलिस दल पर पत्थरबाजी करने के लिए मौके पर इतने पत्थर आए कहां से? इसके अलावा अगर पूजा समिति के लोग साथ में हथियार लेकर चल रहे थे तो पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद पुलिस दल को पता कैसे नहीं चला कि कुछ लोगों के पास हथियार है?
मुंगेर: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से एक दिन पहले मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुई झड़प में 18 साल के एक युवक की मौत हो गई जबकि 27 लोग घायल बताए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक विवाद तब शुरू हुआ जब मुंगेर के पंडित दीन दयाल उपाध्याय चौक पर मूर्तियों का अंबार लगने लगा था और पुलिस पूजा समिति के लोगों पर जल्द से जल्द मूर्ति विसर्जन का दवाब बना रही थी. दुर्गा पूजा समिति के लोगों का कहना है कि इस दौरान कुछ पुलिसवालों से दुर्गा समिति के लोगों से मूर्ति विसर्जन को लेकर बहस हुई और पुलिस कर्मियों ने कुछ लोगों को पीट दिया. इसके बाद वहां पत्थरबाजी शुरू हो गई और देखते ही देखते मामला बढ़ता चला गया और फिर पुलिस ने एक के बाद एक कई आंसू गैस के गोले दागे और कई राउंड हवाई फायरिंग की.
दुर्गा विसर्जन समिति के सदस्य प्रकाश भगत का कहना है कि दुर्गा मां की 53 प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाना था जिनमें से 15 प्रतिमाओं को दीनदयाल चौक पर गंगा में विसर्जित की जा चुकी थी. उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा के अनुसार विजयदशमी के तीन दिन बाद हम दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन करते हैं लेकिन चुनाव के चलते प्रशासन ने मंगलवाश शाम पांच बजे तक ही मूर्ति विसर्जन का समय दिया. मुंगेर एसपी लिपि सिंह के मुताबिक भीड़ ने पुलिस पार्टी पर पत्थरबाजी और फायरिंग की जिसमें एक शख्स की जान चली गई. लिपि सिंह ने कहा कि घायल होने वाले 27 में से 20 पुलिसकर्मी हैं.
सवाल ये कि जब मामला संवेदनशील था तो पुलिस सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त क्यों नहीं थे? पुलिस की दावों पर एक नहीं कई सवाल खड़े होते हैं. सबसे पहले तो ये कि सड़क पर कितने पत्थर थे कि पूजा समिति के लोगों ने पथराव कर दिया? ऐसा तो हो नहीं सकता कि पूजा समिति के लोग पत्थर लेकर चल रहे थे कि रास्ते में बवाल होगा तो हम पुलिस प्रशासन पर पत्थरबाजी कर देंगे.
दूसरा दावा जो एसपी लिपि सिंह कर रही हैं कि पूजा समिति के लोगों ने फायरिंग की तो सवाल ये खड़ा होता है कि पूजा समिति के लोग अवैध हथियार लेकर चल रहे थे और उनके चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था में घूम रही पुलिस को पता ही नहीं चला कि उनके पास हथियार हैं? तीसरा सवाल ये कि जब इतने बड़े स्तर पर मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम था तो पुलिस व्यवस्था इतनी लचर कैसे थी वो भी तब जब राज्य में पहले चरण का चुनाव एक दिन बाद है. फिर भी इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया?
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