नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेगा। पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुमत के फैसले में रिकॉर्ड पर कोई गलती नहीं पाई गई। इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की खुली अदालत में सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया।
अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शादी करना मौलिक अधिकार नहीं है और समलैंगिक विवाह को मान्यता देना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस दीपांकर दत्ता शामिल हैं।
जिस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए 13 याचिकाएं दायर की गई थीं, उसमें कहा गया था कि शादी मौलिक अधिकार नहीं है। समलैंगिकों को भी अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार है, लेकिन सरकार को उनके रिश्ते को विवाह का दर्जा देने या किसी अन्य तरीके से कानूनी मान्यता देने का आदेश नहीं दिया जा सकता। सरकार चाहे तो ऐसे जोड़ों की चिंताओं पर विचार करने के लिए एक समिति बना सकती है। कोर्ट ने माना था कि यह विषय सरकार और सांसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि समलैंगिक जोड़े बच्चे को गोद नहीं ले सकते।
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