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Year 2022 की वो बड़ी सियासी घटनाएं जिनसे बदल गए राजनीतिक गठजोड़

नई दिल्ली : साल 2022 भी ख़त्म हो गया. इस साल देश में कई बड़े राजनीतिक बदलाव देखने को मिले. कई राज्यों में चुनाव हुए और सत्ता पलटी. कई राज्यों में बिना चुनाव के तख्तापलट हुआ. कई राज्यों में जनता ने समान सरकार को समर्थन दिया और कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां रहीं जिनका रुतबा इस […]

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  • December 30, 2022 11:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : साल 2022 भी ख़त्म हो गया. इस साल देश में कई बड़े राजनीतिक बदलाव देखने को मिले. कई राज्यों में चुनाव हुए और सत्ता पलटी. कई राज्यों में बिना चुनाव के तख्तापलट हुआ. कई राज्यों में जनता ने समान सरकार को समर्थन दिया और कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां रहीं जिनका रुतबा इस साल बढ़ा या कम हुआ. आइए एक नज़र उन सभी बड़ी राजनीतिक घटनाओं पर जिन्होंने इस साल बदल दिया सारा राजनीतिक समीकरण.

भाजपा का प्रदर्शन

साल 2022 में भाजपा ने चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन दिखाया. जहां उत्तरखंड, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में तो बीजेपी की वापसी हुई ही साथ ही गोवा और मणिपुर में भी सत्ता जमाई. हालांकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. भले ही भाजपा उत्तराखंड में पांच साल मेंबदलने वाली सत्ता के रिवाज को भेद पाई हो लेकिन हिमाचल प्रदेश में वह ऐसा करने में नाकामयाब साबित हुई.

AAP की सियासी बुलंदी

यह साल सर्वाधिक चर्चा में आम आदमी पार्टी रही. आज से दस साल पहले आप देश की केवल क्षेत्रीय पार्टी के रूप में सामने आई थी लेकिन इस साल उसने दो राज्यों में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है. इतना ही नहीं गुजरात में भले ही आम आदमी पार्टी हार गई हो लेकिन इस साल उसे मिले 13 प्रतिशत मत को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. इस साल पार्टी को अनौपचारिक रूप से राष्ट्रिय राजनीतिक दल का दर्ज़ा भी प्राप्त हो गया.

 

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार का गिरना

महाराष्ट्र की सत्ता का इस साल बहुत बोलबाला रहा. जहां साल 2022 में उद्धव सरकार का सत्ता से बेदखल होना इतिहास में हुई दिलचस्प राजनीतिक घटनाओं में गिना जाएगा. शिंदे गट ने बगावत कर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी और महाविकास अघाड़ी सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा. इस बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी एकनाथ शिंदे को मिली और भाजपा के चेहरे देवेंद्र फडणवीस को इस साल उप मुख्यमंत्री का पद मिला.

बिहार में गहमा गहमी

इस साल बिहार की राजनीति में भी गज़ब मोड़ आया. जहां भाई-भाई का नारा लगाने वाली पार्टियां जेडीयू और भाजपा का गठबंधन टूट गया. नीतीश कुमार एक बार फिर पुराने दोस्त लालू प्रसाद यादव के साथ जुड़ गए और राज्य में आरजेडी और जेडीयू की सरकार कायम हुई. यह दोस्ती की गांठ अब साल 2024 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को भी चुनौती देने के लिए तैयार दिख रही है. दूसरी ओर सियासी तलाक के बाद भाजपा भी लगातार नीतीश कुमार को घेरने में लगी हुई है.

उपचुनाव में कुछ खोया कुछ पाया

इस साल कई राज्यों में कई सीटों पर उपचुनाव हुए. जहाँ सपा संथापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व वीएम मुलायाम सिंह यादव के जाने पर खाली हुई मैनपुरी की लोकसभा सीट सबसे ज़्यादा रोचक रही. इसके अलावा आज़म खान के गढ़ रामपुर में भी चुनाव हुए. वहीं आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भोजपुरी स्टार और भाजपा सांसद निरहुआ की ऐतिहासिक जीत को भुलाया नहीं जा सकता है.

सियासी युग ख़त्म

इस साल मुलायम सिंह यादव के निधन से सियासी युग समाप्त हो गया. तीन पार उत्तर प्रदेश के सीएम गद्दी पर काबिज रहने वाले मुलायम सिंह यादव 1996-98 के दौराव देश के रक्षा मंत्री भी रहे.

चाचा-भतीजा हुए एक

इस साल की बड़ी घटनाओं में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश का एक होना तो लिखना बनता ही है. कई मतभेदों के बाद आखिरखार नेताजी की विरासत चर्चा भतीजे को साथ ले ही आई. मैनपुर चुनाव में डिंपल यादव की जीत ने ये साबित भी कर दिया कि समाजवादी पार्टी की असली ताकत एकता में ही थी.

पहली आदिवासी महिला बनी राष्ट्रपति

साल 2022 में देश को पहली आदिवासी महिला और दूसरी महिला राष्ट्रपति मिली। आदिवासी चेहरे के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने देश की प्रथम नागरिक की गद्दी संभाली. केंद्र शासित एनडीए ने बड़े आदिवासी वोट बैंक पर निशाना साधने के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुना.

 

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