नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 1 अगस्त को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को लेकर कहा कि इनके अंदर ज्यादा पिछड़ों को अलग से कोटा दिया जा सकता है। 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 6:1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 1 अगस्त को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को लेकर कहा कि इनके अंदर ज्यादा पिछड़ों को अलग से कोटा दिया जा सकता है। 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 6:1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एससी/एसटी आरक्षण के तहत जातियों को अलग से हिस्सा मिल सकता है।
Supreme Court holds sub-classification within reserved classes SC/STs is permissible
CJI DY Chandrachud says there are 6 opinions. Justice Bela Trivedi has dissented. CJI says majority of us have overruled EV Chinnaiah and we hold sub classification is permitted
7-judge bench… pic.twitter.com/BIXU1J5PUq
— ANI (@ANI) August 1, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा का निर्णय देते हुए अपना ही 20 साल पुराना फैसला पलट दिया। हालांकि साथ में ये भी हिदायत दी कि राज्य सरकारें अपनी मर्जी से फैसला नहीं कर सकती है। जातियों की हिस्सेदारी संख्या के पुख्ता डेटा के आधार पर ही तय किया जायेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2004 में दिए गए फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति के लोग सदियों से भेदभाव और अपमान का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उनके अंदर बंटवारा करना सही नहीं रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ द्वारा सुनाये गए फैसले के बाद अब राज्य सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब कैटेगरी बना सकती है। इससे मूल और जरूरतमंद कैटेगरी को आरक्षण का अधिक फायदा मिल सकेगा। सब कैटेगरी का आधार इसे बनाया गया कि एक बड़े समूह से दूसरे समूह को अधिक भेवभाव झेलना पड़ता है।