गांधीनगर। उत्तरी गुजरात में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस क्या इस बार भी बाज़ी मारेगी, इस दौरान भाजपा के लिए उत्तर गुजरात में एक और बड़ी चुनौती मुंह खोले हुए खड़ी है जिसके चलते उत्तर गुजरात मे खराब प्रदर्शन करने वाली भाजपा के लिए इस बार भी राहें आसान नहीं हैं। पांच दिसंबर को होने […]
गांधीनगर। उत्तरी गुजरात में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस क्या इस बार भी बाज़ी मारेगी, इस दौरान भाजपा के लिए उत्तर गुजरात में एक और बड़ी चुनौती मुंह खोले हुए खड़ी है जिसके चलते उत्तर गुजरात मे खराब प्रदर्शन करने वाली भाजपा के लिए इस बार भी राहें आसान नहीं हैं। पांच दिसंबर को होने वाले चुनावों मे सबसे अहम उत्तर गुजरात की सीटें होंगी साथ ही 182 सदस्यीय विधानसभा की शेष 93 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, डेयरी सहकारी नेता एवं पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के कारण भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है, भाजपा को कुछ क्षेत्रों मे बग़ावत का सामना भी करना पड़ सकता है। उन्होने कहा कि, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं चौधरी समुदाय के बीच नाराजगी का अंदेशा है।
उत्तरी गुजरात के छह जिलों मे पाटन, मेहसाणा, बनासकांठा, साबरकांठा, गांधीनगर और अरावली में 32 सीटों मे से कांग्रेस के खाते में 17 सीटें आई थीं। 2012 और 2017 में भाजपा ने यहाँ से 15 व 14 सीटें प्राप्त की थीं। वडगाम की सीट निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी के खाते में गई थी, उन्हे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था।
कांग्रेस ने इस क्षेत्र में होने वाले चुनावों को लेकर मौजूदा विधायकों पर भरोसा जताया है। उनमें से 11 उम्मीदवारों को फिर से टिकट दिया है वहीं भाजपा ने 14 मौजूदा विधायकों मे से मात्र छह उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। दोनों ही पार्टियों ने स्थानीय एवं जातीय समीकरणों को ध्यान मे रखा है, पाटीदार और कोली समुदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
यदि विशेषज्ञों की मानें तो आम आदमी पार्टी उत्तर गुजरात में कोई खास प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहेगी। उस क्षेत्र में सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगी। उनका मानना है कि, दक्षिण गुजरात के सूरत और सौराष्ट्र में कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी प्रभाव डाल सकती है।