नई दिल्ली। तमिलानाडु सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की रैली पर रोक लगाने की मांग की गई थी। बता दें कि इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी RSS के मार्च के खिलाफ तमिलनाडु सरकार […]
नई दिल्ली। तमिलानाडु सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की रैली पर रोक लगाने की मांग की गई थी। बता दें कि इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी RSS के मार्च के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था।
बता दें कि, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने बीते साल दो अक्टूबर को तमिलनाडु में 51 स्थानों पर रूट मार्च रैली निकालने का ऐलान किया था। जिस पर राज्य की स्टालिन सरकार ने रोक लगा दी थी। डीएमके सरकार का कहना था कि सांप्रदायिक सद्धाव बिगड़ने की आशंका के चलते आरएसएस की रैली को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
तमिलनाडु सरकार द्वारा रैली पर रोक लगाने के बाद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने 6 जगहों को छोड़कर बाकी 45 जगहों पर आरएसएस को मार्च रैली निकालने की इजाजत दे दी। हालांकि, कोर्ट ने मार्च की मंजूरी के साथ कुछ शर्तें भी लगाई थी, जिसके तहत संघ के स्वंय सेवकों को बिना लाठी डंडे या हथियार के मार्च निकालने से मना किया गया था। हालांकि, इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले से नाखुश आरएसएस ने 6 नवंबर को होने वाले रूट मार्च को स्थगित कर दिया था।
आरएसएस की रैली को इजाजत देने से इनकार करते हुए तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने कहा था कि जब सरकार राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश कर रही है, ऐसे समय में आरएसएस और अन्य संगठनों को रैली निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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