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ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की पांच याचिकाएं

लखनऊ: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का प्रकरण लगातार चर्चा में बना हुआ है. वहीं एएसआई ने ज्ञानवापी के साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में 18 दिसंबर को जमा कराई. जिसके बाद 21 दिसंबर को अगली सुनवाई किए जाने की घोषणा की गई. वहीं ज्ञानवापी से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने पांचों मामले में 8 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से दर्ज कराई गई याचिकाओं को उन्होंने खारिज कर दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर पांच याचिकाओं में से 3 वाराणसी कोर्ट में 1991 में दायर किए गए केस की पोषणीयता से जुड़ी हुई थी, जबकि दो अन्य याचिका एएसआई सर्वेक्षण के खिलाफ दायर की गई थी. इन पांचों याचिकाओं को अब खारिज कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका

मुस्लिम पक्ष की पांचों याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. 1991 में हिंदू पक्ष द्वारा दर्ज कराए गए केस पर फैसला सुनाया गया है. वाराणसी की अदालत में दर्ज केस की पोषणीयता को 1991 में चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट के आदेश के बाद सिविल कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शुरू होगी. एएसआई सर्वे को लेकर दायर केस को खारिज किए जाने के बाद जिला कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी।

1991 के एक्ट लागू होने पर भी फैसला

1991 में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के मित्रों ने वाराणसी जिला कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष का दावा किया गया. इसमें विवादित परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई और यहां पर पूजा-अराधना का अधिकार मांगा गया. कोर्ट में इस केस के चलने को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. आज के फैसले में अब हाई कोर्ट तय करेगी कि इस मामले में वाराणसी कोर्ट सुनवाई कर सकता है या नहीं. इस केस की पोषणीयता पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से सवाल उठाया गया है. दरअसल 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए मुस्लिम पक्ष विश्वेश्वर महादेव की याचिका की सुनवाई नहीं किए जाने का दावा कर रहा है।

ज्ञानवापी मस्जिद की इंतेजामिया कमिटी की ओर से तीन और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दो याचिकाएं दाखिल की गई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद चौथी बार अपना फैसला 8 दिसंबर को सुरक्षित रखा था. वहीं वाराणसी जिला कोर्ट में एएसआई के सुप्रीटेंडेंट अविनाश मोहंती के नेतृत्व में पहुंची एएसआई की टीम ने 1500 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट सौंपी है।

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Deonandan Mandal

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