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अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जमानत पर रोक लगा दी है. जिसके बाद अब केजरीवाल जेल में ही रहेंगे. मालूम हो कि दिल्ली के सीएम को पिछले दिनों निचली अदालत से जमानत मिल गई. वहीं इस फैसले को ईडी ने हाईकोर्ट में चुनौती […]

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अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत
  • June 25, 2024 5:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जमानत पर रोक लगा दी है. जिसके बाद अब केजरीवाल जेल में ही रहेंगे. मालूम हो कि दिल्ली के सीएम को पिछले दिनों निचली अदालत से जमानत मिल गई. वहीं इस फैसले को ईडी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

बता दें कि अरविंद केजरीवाल को ईडी ने दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत मिल गई थी. जिसके बाद 2 जून को केजरीवाल ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत के लिए निचली अदालत जाने की सलाह दी थी.

निचली अदालत से मिली थी जमानत

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केजरीवाल ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी. इस पर कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी. लेकिन ईडी ने जमानत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर ही केजरीवाल के जमानत पर रोक लगा दी थी. इस रोक के खिलाफ केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश आने तक इंतजार करने के लिए कहा था.

HC ने जमानत पर रोक बरकरार रखी

ईडी की दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इस मामले में जज ने कहा कि ED ने हमें बताया कि निचली अदालत के जज ने कहा है कि उनके पास ईडी के द्वारा पेश किए गए दस्तावेज को देखने का समय नहीं है. जज ने अपने आदेश में कहा, सभी बिंदुओं पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है. PMLA सेक्शन 45 में जमानत के लिए दी गई दोहरी शर्त का पालन न होने की दलील काफी मजबूत है. हमारा मानना है कि हाई कोर्ट पहले ही गिरफ्तारी को सही ठहराने का आदेश दे चुका था. ऐसे में निचली अदालत में जज को गिरफ्तारी को गलत ठहराने की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी.

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