नई दिल्ली, अग्निपथ योजना को लेकर एक ओर जहां देश में कई राज्यों में युवा और छात्र हिंसा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर सियासत भी गर्म हो गई है. इसी बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी योजना को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं. पूरा देश जल रहा […]
नई दिल्ली, अग्निपथ योजना को लेकर एक ओर जहां देश में कई राज्यों में युवा और छात्र हिंसा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर सियासत भी गर्म हो गई है. इसी बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी योजना को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं.
पूरा देश जल रहा है, युवा आक्रोशित हैं और सड़कों पर हैं। तो ऐसे में भारत सरकार को सामने आकर जवाब देना चाहिए कि सेना में युवाओं को ठेके पर रखने का क्या औचित्य है?: अग्निपथ योजना पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल pic.twitter.com/8TSGDaZqZs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 19, 2022
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस समय के सबसे ज्वलंत मुद्दे अग्निपथ को लेकर केंद्र सरकार पर प्रहार किया है. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, इस समय पूरा देश जल रहा है, युवा आक्रोशित हैं और सड़कों पर आ गए हैं। ऐसे में भारत सरकार को सामने आकर जवाब देना चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि सेना में युवाओं को ठेके पर रखने का क्या औचित्य है? सीएम ने आगे कहा, सेना में भर्ती करने से पहले 1 साल तक ट्रेनिंग दी जाती है उसे घटा कर 6 महीने कर रहे हैं. जिन जवानों को 20 साल की नौकरी मिलती थी उसे घटा कर 3.5 साल कर दिया गया है. तो क्या भारत सरकार के पास सैनिकों को देने के लिए पैंसे नहीं हैं?
मीडिया से बात करते हुए सीएम बघेल ने आगे कहा, भारत में सेना का लोहा माना जाता है और उस सेना में भी सरकार भर्ती नहीं करना चाहती. बल्कि 4 साल के ठेके पर युवाओं को रख रही है. भारत सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या सैनिक भर्ती करने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में युवाओं का आक्रोश देखने को मिल रहा है। बिहार से हरियाणा तक आंदोलन आक्रमक होता जा रहा है। कहीं गाड़ियों में आग लगा दी गई तो कहीं ट्रेन की पटरियां ही उखाड़ दी गई है। ऐसे में सरकार युवाओं को स्कीम के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है, तो वहीं विपक्ष का कहना है कि इस योजना के जरिए युवाओं के भविष्य के साथ खेला जा रहा है और ये सेना की गरिमा को भी कम करता है।
यह भी पढ़ें :