BHU Professor Feroz Khan to Quit SVDV: बीएचयू प्रोफेसर फिरोज खान ने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग छोड़ दिया है. अब कला संकाय में उनकी नियुक्ति होगी. सोमवार को, फिरोज खान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बीएचयू प्रॉक्टर से कहा कि अगर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित नहीं किया जाता है, तो वे न केवल आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार करेंगे बल्कि आमरण अनशन भी शुरू करेंगे. फिरोज खान संस्कृत में सहायक प्रोफेसर हैं और राजस्थान से आए हैं.
वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) में सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी नियुक्ति के लगभग एक महीने बाद प्रोफेसर फिरोज खान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बीएचयू के सूत्रों का कहना है कि वह विश्वविद्यालय के कला विभाग में शामिल होने की बहुत संभावना है और इसमें संस्कृत सिखाएंगे. यह विकास ऐसे समय में हुआ है जब छात्रों ने खान की नियुक्ति के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा है और सोमवार को भी आमरण अनशन की धमकी दी है. दरअसल पिछले महीने एसवीडीवी में फिरोज खान की नियुक्ति ने बीएचयू के छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिन्होंने उनकी कक्षा का बहिष्कार करना शुरू कर दिया और कुलपति के कार्यालय के बाहर धरना दिया.
छात्रों ने मांग की कि फिरोज खान की नियुक्ति रद्द कर दी जाए क्योंकि एक मुस्लिम होने के नाते वह उन्हें उनके धर्म और धर्मग्रंथ नहीं सिखा सकते. छात्रों ने तर्क दिया था, केवल एक हिंदू ही हमें अपना धर्म सिखा सकता है. फिरोज खान अन्यत्र संस्कृत भाषा सिखाने के लिए स्वतंत्र है. बीएचयू प्रशासन ने फिरोज खान के समर्थन में यह कहा था कि उनकी नियुक्ति बीएचयू अधिनियम और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार की गई थी. विश्वविद्यालय ने एक सार्वजनिक बयान में यहां तक कहा कि फिरोज खान सभी उम्मीदवारों में सर्वश्रेष्ठ थे.
सोमवार को, प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर को बताया कि अगर फिरोज खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित नहीं किया जाता है, तो वे न केवल आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार करेंगे बल्कि आमरण अनशन भी शुरू करेंगे. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्कृत कला धर्म विज्ञान संकाय के रिसर्च स्कॉलर चक्रपाणि ने इनखबर से बातचीत में कहा- बीएचयू में संस्कृत के 12 विभाग हैं. 11 अन्य विभागों में फिरोज खान की नियुक्ति के हम खिलाफ नहीं हैं. लेकिन इस संकाय में उनकी नियुक्ति महामना मदन मोहन मालवीय के सिद्धांतों तो तिलांजली देकर की गई थी. इस संकाय में वेद-वेदांग की सिर्फ पढ़ाई ही नहीं होती बल्कि वैदिक विधि-विधानों का पालन भी किया जाता है. ऐसे में जो सनातन वर्णाश्रम परंपरा से बाहर का व्यक्ति है वो इस विभाग में न प्रवेश पा सकता है न पढ़ा सकता है.
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