नई दिल्लीः भोपाल गैस कांड मामले में शनिवार को सुनवाई पूरी हो गई है। न्यायाधीश विधान महेश्वरी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 18 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत में इस मामले में 5 घंटे बहस चली। डाउ केमिकल की तरफ की तरफ से 15 वकीलों ने पक्ष रखें। इनमें सीनियर […]
नई दिल्लीः भोपाल गैस कांड मामले में शनिवार को सुनवाई पूरी हो गई है। न्यायाधीश विधान महेश्वरी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 18 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत में इस मामले में 5 घंटे बहस चली। डाउ केमिकल की तरफ की तरफ से 15 वकीलों ने पक्ष रखें। इनमें सीनियर वकील सिदार्थ लुथरा और रविंद्र श्रीवास्तव शामिल थे। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फोर्मेशन एंड एक्शन की तरफ से अवि सिंह और सीबीआई की तरफ से सियाराम मीना ने अदालत में पक्ष रखी। पूरी बहस इस बात को लेकर थी कि क्या डीओडब्ल्यू केमिकल कंपनी भारत की अदालत के अधिकार क्षेत्र में आती है कि नहीं।
जानकारी दे दें कि इससे पहले पिछली सुनवाई में विशेष न्यायाधीश विधान माहेश्वरी ने डाउ केमिकल्स मामले की सुनवाई की थी। इस सुनवाई में भी डाउ केमिकल्स कंपनी की तरफ से 10 वकीलों की एक फौज कंपनी का पक्ष अदालत में रखी थी। इसके बाद न्यायाधीश ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी 2024 की तारीख तय की थी। बता दें कि 1984 में केमिकल्स कंपनी की भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में गैस लिक हुआ था। इससे हजारों ने जान गंवाई थी, ये विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है।
पिछली सुनवाई में भी कंपनी के वरिष्ठ वकील ने तर्क रखा था कि इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार न होने पर आगामी स्तर पर तर्क करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने बताया था कि उनका क्लाइंट एक मल्टी नेशनल अमरीकी कंपनी है। ऐसे में भारत की अदालत उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई क्षेत्राधिकार नहीं रखती है। इस पर भोपाल ग्रुप फोर इन्फोरमेशन एवं एक्शन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अवी सिंह ने नाराजगी जताई थी। सिंह ने कहा था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला किया था।
कंपनी को 39 सालों में कुल सात बार समन भेजा जा चुका है। जिसमें 7वां समन तामील हुआ। इसके 39 साल बाद पहली बार कंपनी की ओर से कोई प्रतिनिधि कोर्ट में पक्ष रखने आया था। बता दें कि ये मामला अमरीकी संसद में भी उठ चुका है। इतना ही नहीं इस कंपनी को भारत से भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।