भीमा कोरेगांव हिंसा: संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुंबई में दलितों के यलगार मोर्चे को नहीं मिली इजाजत

भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी को हुई हिंसा हुई थी. जिसमें शिवप्रतिष्ठान संगठन के प्रमुख संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. एकबोटे को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन अब तक संभाजी गिरफ्त से बाहर हैं. संभाजी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दलितों ने एक बार फिर से प्रदर्शन शुरू कर दिया है. डॉ. भीमराव अंबेडकर के पौत्र इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं.

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भीमा कोरेगांव हिंसा: संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुंबई में दलितों के यलगार मोर्चे को नहीं मिली इजाजत

Aanchal Pandey

  • March 26, 2018 5:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मुंबई. नए साल पर भीमा कोरेगांव में दलितों पर हमले के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने के विरोध में भारी संख्या में दलितों ने प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शनकारी मुंबई के आजाद मैदान में दलित नेता प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में इकट्ठे हुए. प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाले ‘यलगार मोर्चे’ को पुलिस की अनुमति नहीं मिल पाई जिसके कारण प्रदर्शनकारियों को सिर्फ आजाद मैदान तक ही सीमित रहने को कहा गया है. प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की थी कि 26 मार्च तक संभाजी को गिरफ्तार किया जाए वरना वे और उनके समर्थक प्रदर्शन करेंगे. यह मोर्चा पुणे से मुंबई पहुंचा है जहां आजाद मैदान में लोग इकट्ठे हुए.

शंभाजी भिडे पर भीम-कोरेगांव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान दलितों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप है. हालांकि वे अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार करते रहे हैं. पुणे के पास भीमा कोरेगांव में युद्ध स्मारक के नजदीक दलितों पर हमला हुआ था. इसके बाद यहां हिंसा भड़क गई थी और एक 28 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी. इस हिंसा का दलित संगठनों ने विरोध किया था. दलित संगठनों का आरोप है कि यह पूरा विवाद संभाजी भिड़े और मिलिंज एकबोटे का किया-धरा है. डॉ. भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भिडे की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया था लेकिन केंद्र सरकार के मना करने पर गिरफ्तार नहीं किया गया है. 

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास अठावले ने इस प्रदर्शन पर साफ किया कि उनकी पार्टी ‘यलगार मोर्चे’ का समर्थन नहीं कर रही है. प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि उन्हें ‘यलगार मोर्चे’ की अनुमति नहीं मिलने की जानकार रविवार शाम 4 बजे तक मिली थी. इसके बाद सभी लोगों से मना करना मुश्किल था क्योंकि लोग यहां के लिए निकल चुके थे.

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