Supreme Court on Bhima Koregaon Violence: सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 और दिनों का अतिरिक्त वक्त देने से इनकार कर दिया था.
नई दिल्ली. नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने अपने आदेश में भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 और दिनों का अतिरिक्त वक्त देने से इनकार कर दिया था.
इसका मतलब है कि सुरेंद्र गाडलिंग के अलावा अन्य चार आरोपी प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रहने वाली रोना विल्सन फिलहाल जेल में रहेंगे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि पांचों आरोपी निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं और निचली अदालत बिना सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा.
पुणे पुलिस को स्पेशल कोर्ट द्वारा दिया गया टाइम चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कृष्ण कौल और एल नागेश्वर राव की बेंच ने बरकरार रखा है. 30 अगस्त 2018 को पुणे पुलिस ने उन आरोपियों की हिरासत बढ़ाने की मांग की थी, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत हिरासत में लिया गया था. इस प्रावधान के तहत 90 दिनों से ज्यादा हिरासत बढ़ाई जा सकती है लेकिन सरकारी वकील को कोर्ट को इस बात के लिए संतुष्ट करना होगा कि जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त वक्त की जरूरत है. सरकारी वकील द्वारा इस केस में स्पेशल कोर्ट ने हिरासत की अवधि 2 सितंबर को बढ़ा दी थी. इस आदेश को गाडलिंग ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, जिस पर शीर्ष अदालत ने यह फैसला दिया.
Bhima Koregaon violence History: जानिए क्या है भीमा कोरेगांव का इतिहास, पिछले साल भी मचा था बवाल