नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पुणे के भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के बढ़ते दायरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने और अर्बन नक्सल होने के आरोप में दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद से गिरफ्तार वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता और लेखक गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरुण फरेरा और वर्नॉन गोन्जाल्विस की रिमांड पर रोक लगा दिया है और इन सबको 5 सितंबर तक घर पर ही नजरबंद रखने का आदेश दिया है. कोर्ट गुरुवार को मामले की दोबारा सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का असर हैदराबाद से अरेस्ट वरवर राव और मुंबई से गिरफ्तार अरुण फरेरा और वरनोन गोन्जाल्विस पर क्या होगा, ये अभी देखना होगा क्योंकि इन तीनों को पुणे पुलिस ने उनके शहरों से लाकर कोर्ट में पेश कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों का कहना है कि कोर्ट का आदेश है घर में नजरबंद रखने का तो पुलिस को तीनों को वापस उनके शहर में उनके घर पर छोड़ना होगा और वहां नजरबंदी होगी.
दिल्ली से गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और फरीदबाद से गिरफ्तार ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को गिरफ्तारी के बाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को ही घर पर नजरबंद रखने का आदेश देते हुए पुणे ले जाने पर रोक लगा दी थी. पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा को साकेत कोर्ट में पेश करके 48 घंटे का ट्रांजिट रिमांड लिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाया था कि गौतम नवलखा का गिरफ्तारी मेमो मराठी में क्यों था. इस पर पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा कि नवलखा को गिरफ्तारी का कारण समझाने की कोशिश की गई.
बुधवार को 5 लोगों की गिरफ्तारी के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी. ये याचिका इतिहासकार रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे, माया दर्नाल वगैरह की ओर से डाली गई थी. कोर्ट ने इसी याचिका पर पांचों को घर में 5 सितंबर तक नजरबंद रखने और गुरुवार 6 सितंबर को अगली सुनवाई का आदेश दिया है.
पुलिस का कहना है कि भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने और नक्सलियों को लेकर हुई जांच में पीएम मोदी की हत्या की साजिश का भी खुलासा हुआ था जिसके चलते पूणे पुलिस ने ये गिरफ्तारियां की हैं. इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा था कि ये इमरजेंसी के हालात हैं जब सरकार मॉब लिंचिंग करने वालों की जगह लेखकों, कवियों और वकीलों को गिरफ्तार कर रही है.
LIVE Updates :
-सुप्रीम कोर्ट ने अर्बन नक्सल के आरोप में गिरफ्तार पांचों माओवादी शुभचिंतकों की रिमांड पर रोक लगाई, 5 सितंबर तक रहेंगे नजरबंद, 6 को दोबारा होगी सुनवाई. दिल्ली में गौतम नवलखा पहले से नजर बंद हैं .
-अभियोजन पक्ष ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि आरोपी गौतम नवलखा सीपीआई (एम) के सक्रिय सदस्य थे और उन्होंने अलगार परिषद के माध्यम से महाराष्ट्र में एक फासीवादी मोर्चा अखिल भारतीय यूनाइटेड फ्रंट बनाने की साजिश रची थी. सरकार को उखाड़ फेंकना, असहिष्णुता का माहौल बनाना सीपीआई (एम) का लक्ष्य है.
-सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में अपनी सबमिशन दे रहे हैं. सिंघवी ने अदालत से कहा कि FIR में इन पांच लोगों में से किसी का भी उल्लेख नहीं है.
-गौतम नवलाखा की गिरफ्तारी का मेमो मराठी में था. बार एंड बेंच के अनुसार ऐसे में न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कहा, यह मामले का एक बहुत ही व्यावहारिक पहलू है. यदि गिरफ्तारी के आधार मराठी में लिखा गया है, तो व्यक्ति गिरफ्तारी के पीछे कारणों को कैसे समझ पाएगा?’ अदालत ने नवलाखा की गिरफ्तारी के लिए गवाहों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया. इसपर महाराष्ट्र पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा कि नवलखा को गिरफ्तारी का कारण समझाने की हर कोशिश की गई.
-दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौतम नवलाखा की याचिका की सुनवाई शुरू कर दी है. याचिका को दिन में दो बार स्थगित कर दिया गया था, जिसके बाद खंडपीठ ने कहा था कि अगर अदालत सामान्य कामकाजी घंटों से परे हो तो भी अदालत आज ही सुनवाई करेगी.
-दिल्ली उच्च न्यायालय ने जल्द ही मामलें की सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता गौतम नवलाखा के वकील नित्य रामकृष्ण जल्द ही अदालत पहुंच सकते हैं.
-वरवर राव, वरनोन गोनजाल्विस और अरुण फरेरा को पुलिस पुणे कोर्ट में पेश कर चुकी है.
-फरीदाबाद की डीसीपी ने मामले में हाउस अरेस्ट एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को लेकर मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुधा को गुरुवार को हाई कोर्ट में पेश किया जाएगा. तब तक वे पुलिस की देख-रेख में रहेंगी. उन्हें मीडिया से बात करने से रोका गया है. हालांकि वह अपने वकीलों से मिल सकती हैं’
-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच एक्टिविस्टों की गरफ्तारी को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है. आयोग के अनुसार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के समय नियमों का पालन नहीं किया गया है.
-इस गिरफ्तारी को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. जदयु की ओर से बयान आया है कि सरकार को देखना जरूरी है कि कथित माओवादी कार्यकार्ताओं के खिलाफ उसके पास कोई सबूत है भी या नहीं?
भीमा-कोरेगांव हिंसाः दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को दिल्ली से बाहर ले जाने पर रोक लगाई
तो क्या सच में चल रही पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश? महाराष्ट्र पुलिस को मिले सबूत
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