पुणे. Bheem Army Chief Chandra Shekhar: भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि मुंबई पुलिस ने उन्हें चैत्य भूमि से गिरफ्तार कर लिया है. चैत्य भूमि वो जगह है जहां बाबा साहेब भीमराव अंबेडर को दफनाया गया था. हालांकि मुंबई पुलिस में इस बात का खंडन किया है. सूत्रों के अनुसार मुंबई पुलिस ने कहा कि भीम आर्मी चंद्रशेखर आजाद को नजरबंद भी नहीं किया गया है. पिछले साल भीमा-कोरेगांव वर्षगांठ में भड़की जातीय हिंसा का एक साल पूरा होने वाला है. भीमा-कोरेगांव की वर्षगांठ के मद्देनजर महाराष्ट्र पुलिस चुस्त है.
शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए. पहले ट्वीट में उन्होंने नजरबंदी जबकि दूसरे ट्वीट में गिरफ्तारी की जानकारी दी. इसके साथ-साथ चंद्रशेखर ने एक वीडियो भी जारी किया था. जिसमें उन्होंने नजरबंदी किए जाने की जानकारी दी थी. अपने वीडियो में आजाद कह रहे हैं, “मनाली होटल में … कैद.. आप समझिए कि मैं यहां पहली बार आया… बाबा साहेब की धरती पर… इस धरती को नमन करने के लिए.. मुझे यहां कैद कर दिया गया…मुझे कौन सी एक्ट के तहत कैद किया गया ये मैं जानना चाहता हूं यहां की पुलिस और महाराष्ट्र सरकार से…यह देश संविधान से चलता है… लेकिन यहां तो संविधान को ताक पर रख कर सब काम किया जा रहा है… मैं चैत्य भूमि जाना चाहता था… मैं प्रेस कॉफ्रेंस करना चाहता था… मैं अपने लोगों से मिलना चाहता था…. उनकी पीड़ा जानना चाहता था… मेरे साथ जो हो रहा है वो देश के हर उस नागरिक के साथ हो सकता है जो न्याय के लिए आवाज उठाना चाहता है”
देर रात चंंद्रशेखर ने एक और ट्वीट किया. इस ट्वीट में आजाद ने लिखा, “अभी फ़ोन ऑन करने दिया है, कई पुलिस स्टेशन में घुमाते हुए दोबारा होटल ले आएं है. फिर से होटल में कैद कर लिया है. सभी संगठनो का धन्यवाद जिन्होंने मेरी गिरफ्तारी पर आवाज उठाई, जिससे सरकार डर गई ओर उन्हें एक घण्टे में ही मुझे पुलिस स्टेशन से दोबारा होटल लाना पड़ा।”
संविधान की प्रति दिखाते हुए चंद्रशेखर ने आगे कहा कि यह देश संविधान से चलता है. जिन लोगों को भम्र हो गया है कि देश नागपुर की नीति से, मनुस्मृति से देश को चलाएंगे…. वो होने नहीं दिया जाएगा….न मैं रुकूंगा, न मैं बिकूंगा न मैं झुकूंगा… मुझे जो सजा मिलें मैं संविधान के सम्मान के लिए बलिदान देने को तैयार हूं… आजाद के इस वीडियो के मीडिया में आने के दलित चितकों में नाराजगी है.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुंबई पुलिस ने चंद्रशेखर आजाद के आरोपों का खंडन किया है. पुलिस का साफ कहना है कि चंद्रशेखर का नजरबंद किया जाना बेबुनियाद है. मालूम हो कि इस साल की शुरुआत में भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ के पहले तनाव फैल गया था। 1 जनवरी 2018 को पुणे से 40 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा गांव में दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। इसी कार्यक्रम के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी। इस हिंसा में एक आदमी का मौत हो गई थी, वहीं 4 अन्य घायल हो गए थे।
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