Bhagat Singh Jayanti 2019: क्रांतिकारी भगत सिंह का देश को आखिरी संदेश- साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद

Bhagat Singh Jayanti 2019: बेड़ियों में बंधे भगत सिंह खुद को आजाद कहते थे. बात भी सच थी भगत सिंह को बांध सके, ऐसी बेड़ियां अंग्रेजी हुकूमत नहीं बनवा पाई थी. आजादी तो भगत सिंह के नस-नस में थी. तभी तो उन्होंने फांसी से ठीक पहले अपने वकील से कहा था साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद.

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Bhagat Singh Jayanti 2019: क्रांतिकारी भगत सिंह का देश को आखिरी संदेश- साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद

Aanchal Pandey

  • September 28, 2019 1:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. इतिहास में एक 28 सितंबर ऐसा आया जिसमें जन्मे एक क्रांतिकारी ने इंकलाब का मतलब पूरी दुनिया को समझाया. अंग्रेजों की चाबूक की धार पर न जाने कितने हिंदुस्तानियों का लहु लगातार बह रहा था. भारत के हर हिस्से में क्रांति की आग थी. अब बच्चा-बच्चा आजादी चाहता था लेकिन मौत तो सबको डरा देती है और जो नहीं डरते वे भगत सिंह बनते हैं. जेल में भगत सिंह को जितना मारा जाता उतना ही वे इंनकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद करते. सुखदेव और राजगुरु भी अपना हर खून का कतरा आजादी के नारे को समर्पित कर रहे थे. देशभर में भगत सिंह की फांसी की सजा का विरोध चल रहा था कि इसी बीच अंग्रेजी हुकूमत ने वक्त से पहले फांसी देने का फैसला किया.

भगत सिंह मौत से डरते तो बम नहीं फेंकते
जब भी जलियां वाला बाघ का कांड भगत सिंह को याद आता वे सिहर जाते. बचपन में ही उन्होंने आजादी की मांग को अपना हथियार बना लिया. जवानी आई तो उसे देश के नाम कर दिया. साल 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में घायल हुए लाला लाजपत राय को देखकर भगत सिंह का खून खौल उठा. ईस्ट इंडिया कंपनी के पुलिस सुपिरिटेंडेंट स्कॉट की हत्या करने निकले लेकिन गलती से पुलिस अधिकारी सांडर्स को मार दिया गया. पुलिस ने मारने वाले सभी क्रांतिकारियों की तलाश की लेकिन कोई हाथ नहीं आया.

पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत में बड़ी हलचल नहीं मची. इसके बाद भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंक दिया. पुलिस ने उन्हें और साथी बटुकेश्वर दत्त को गिरफ्तार कर लिया. भगत सिंह समेत कई युवा क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी की सजा सुनाई. जेल में भी भगत सिंह सिर्फ इंकलाब की बात करते. खूब किताबें पढ़ते और खूब लिखते. इस दौरान उन्होंने लिखा ”मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है.” ये सच भी है, वे आजाद ही थे जिसे मौत से डर न हो उसके लिए जेल की बेड़ियों का क्या खौफ.

फांसी से पहले भगत सिंह का आखिरी संदेश
लाहौर जेल की कोठरी नंबर 14 में बंद भगत सिंह ने अपने वकील प्राण नाथ मेहता से किताबें मंगवाई. फांसी से कुछ ही समय पहले जब मेहता उनसे मिलने पहुंचे तो भगत सिंह ने पूछा कि क्या वे उनकी ‘रिवॉल्युशनरी लेनिन’ किताब लाए. मेहता ने उन्हें किताब दी तो भगत सिंह तुरंत उसे खोलकर पढ़ने लगे जैसे उनके पास समय न हो. किताब पढ़ रहे भगत से मेहता ने पूछा कि क्या कोई देश को संदेश देना चाहेंगे तो भगत सिंह ने कहा सिर्फ दो संदेश ”साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद.” साथ ही उन्होंने पंडित नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का शुक्रिया करने के लिए कहा.

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