Bhagat Singh birth anniversary: मेरा रंग दे बसंती चोला, देश मेरे देश मेरे, ये हैं भगत सिंह पर फिल्माए गए 5 सुपरहिट गानें

Bhagat Singh Birth anniversary: शहीद-ए आजम भगत सिंह का आज 28 सितम्बर 1907 को जन्मदिन है. भगत सिंह का जन्म पंजाब प्रान्त के लायलपुर गांव (अब पाकिस्तान) में हुआ था. आज भगत सिंह के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उन पर फिल्माए गए बॉलीवुड के 5 सुपरहिट सॉन्ग सुनाने जा रहे हैं.

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Bhagat Singh birth anniversary: मेरा रंग दे बसंती चोला, देश मेरे देश मेरे, ये हैं भगत सिंह पर फिल्माए गए 5 सुपरहिट गानें

Aanchal Pandey

  • September 28, 2018 8:44 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. शहीद-ए आजम भगत सिंह का आज जन्मदिन है. भगत सिंह का जन्म आज ही के दिन पंजाब प्रान्त के लायलपुर गांव (अब पाकिस्तान) में 28 सितम्बर 1907 को हुआ था. भगत सिंह वो महान क्रांतिकारी हैं जो देश के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे. भगत सिंह के जीवन पर बॉलीवुड में अब तक कई फिल्में भी बन चुक हैं, जिनमें उनका देश के लिए बलिदान को क्रांति के जज्बे को दर्शया गया है. इन फिल्मों को दर्शकों ने बहुत पसंद भी किया है. आज हम भगत सिंह के फिल्मों से उन पर फिल्माए गए गाने आपको सुनाने जा रहे हैं जिन्हें सुनकर आज भी युवाओं में जोश भर जाता है.

भगत सिंह के जीवन पर 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का काफी गहरा असर पड़ा था और इसी गुस्से को लेकर भगत सिंह अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. भगत सिंह पहले अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में गांधी जी के साथ थे, लेकिन जब 1922 में गाँधी जी ने चौरी-चौरा हत्याकांड के बाद असहयोग आंदोलन वापस ले लिया तो उनका कांग्रेस और गाँधी की अहिंसावादी विचारधारा से मोह हट गया. भगत सिंह ने 1923 में लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, इस दौरान उन्होंने यूरोप और रूस में हुई क्रांतियों का अध्यनन किया.

भगत सिंह ने 1926 में भारत नौजवान सभा कि स्थापना करने के बाद चन्द्रशेखर आज़ाद की पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए. भगत सिंह ने साल 1930 में लाहौर सेंट्रल से सुप्रसिद्ध निबंध “मैं नास्तिक क्यों हूँ” (व्‍हाई एम एन एथीस्‍ट) लिखा था. अंग्रेज पुलिस असिस्टेंट सांडर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाते हुए 24 मार्च 1931 की तारीख तय की गयी थी. हालांकि उनकी रिहाई के लिए हो रहे आंदोलन से डरकर अंग्रेजों ने तीनों को एक दिन पहले 23 मार्च 1931 को फांसी पर तख्ते पर चढ़ा दिया.

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