नई दिल्ली: पूरा देश अभी कोलकाता की प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और हत्या मामले में दुखी है। दिल्ली, मुंबई से लेकर यूपी तक डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया […]
नई दिल्ली: पूरा देश अभी कोलकाता की प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और हत्या मामले में दुखी है। दिल्ली, मुंबई से लेकर यूपी तक डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी केंद्र और राज्य के सरकारी अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे परिसर में या कर्मचारियों और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटना के छह घंटे के भीतर पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं। शुक्रवार सुबह जारी नोटिस में कहा गया है कि यदि निर्धारित समय के भीतर ऐसी कोई शिकायत नहीं की जाती है तो संबंधित संस्थान के प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
हाल ही में यह देखा गया है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा आम हो गई है। कई स्वास्थ्य कर्मियों को अपनी ड्यूटी के दौरान शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा। कई को धमकी दी गई। अधिकांश हिंसा या तो मरीजों या मरीजों के परिवार के द्वारा की जाती है।
इससे पहले कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी, जिसमें डॉक्टरों के माता-पिता ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। आपको बता दें प्रशिक्षु डॉक्टर का शव 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल परिसर के एक सेमिनार कक्ष में मिला था। पोस्टमार्टम में उसके हाथ-पैर से लेकर जननांगों तक कई जघन्य चोटों की पुष्टि हुई थी। इस जघन्य हत्या के बाद कोलकाता और बंगाल तथा पूरे भारत में डॉक्टरों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया।