Beti Bachao Beti Padhao: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का 56 प्रतिशत फंड हुआ पब्लिसिटी पर खर्च!

Beti Bachao Beti Padhao: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर सवाल खड़े होने लगे हैं. इस अभियान को आज चार साल पूरे हो गए हैं. चार साल पूरे होने के मौके पर खुलासा हुआ है कि इस अभियान के फंड्स में से 56 प्रतिशत फंड का इस्तेमाल केवल पब्लिसिटी यानि की विज्ञापन के लिए किया गया है.

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Beti Bachao Beti Padhao: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का 56 प्रतिशत फंड हुआ पब्लिसिटी पर खर्च!

Aanchal Pandey

  • January 22, 2019 9:31 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को दो संबंधित उद्देश्यों के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की. इसका उद्देश्य था भारत में घटते बाल लिंग अनुपात पर ध्यान केंद्रित करना और लड़कियों के बारे में लोगों की मानसिकता बदलना. सरकार द्वारा तैयार इस अभियान में तीन मंत्रालयों- महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास के माध्यम से बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई होनी थी. चार साल बाद सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को देखकर लग रहा है कि इसका मुख्य उद्देश्य प्रचार था.

2014-15 से 2018-19 तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत आवंटित 56 प्रतिशत से अधिक फंड मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च किया गया. वहीं 25 प्रतिशत से भी कम की धनराशि जिलों और राज्यों को दी गई. हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा 19 प्रतिशत से अधिक धनराशि जारी ही नहीं की गई. ये आंकड़ें 4 जनवरी को लोकसभा में केंद्रीय महिला और बाल विकास राज्य मंत्री डॉ विरेंद्र कुमार ने जारी किए थे. ये संसद के पांच सदस्यों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में थे. भाजपा के कपिल पाटिल और शिवकुमार उदासी, कांग्रेस के सुष्मिता देव, तेलंगाना राष्ट्र समिति के गुटखा सुकेंदर रेड्डी और शिवसेना के संजय जाधव ने ये सवाल किए थे.

कहा गया है कि अब तक सरकार ने योजना के लिए 644 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसमें से केवल 159 करोड़ रुपये जिलों और राज्यों को भेजे गए हैं. संसद में यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस योजना को विफल माना है मंत्री ने ना में जवाब दिया. उन्होंने बताया कि सरकार ने देश के सभी 640 जिलों में इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है. 2015 में योजना के पहले चरण में सरकार ने कम लिंगानुपात वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया. उसके बाद के दूसरे चरण में सरकार ने 61 और जिलों को जोड़ा.

इन 161 जिलों में बाल लिंगानुपात के आधार पर योजना की सफलता कम रही. 161 में से 53 जिलों में 2015 से बाल लिंग अनुपात में गिरावट आई है. इनमें चरण एक के 100 में से 32 जिले और चरण दो के 61 में से 21 जिले शामिल हैं. बाकी जिलों में बाल लिंगानुपात में वृद्धि हुई है. केंद्रशासित प्रदेशों में गिरावट विशेष रूप से तेज रही है. उदाहरण के लिए, निकोबार में चाइल्ड सेक्स रेशियो 2014-15 में प्रति 1000 में 985 महिलाओं से गिरकर 2016-17 में 839 हो गई. पुदुचेरी के यानम में यह 2014-15 में 1107 से गिरकर 976 हो गई. सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को 55 करोड़ रुपये और पुदुचेरी को 46 करोड़ रुपये दिए हैं.

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