कोलकाता. 1959 में आई फिल्म धूल का फूल में एक गाना था, “तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा.” कुछ इसी तर्ज पर कोलकाता में स्थित एशिया के सबसे पुराने महिला कॉलेज, बेथुन कॉलेज ने छात्रों के लिए मानवता को धर्म के कॉलम में एक विकल्प के रूप में पेश करने का निर्णय लिया है. ऑनलाइन एडमिशन फॉर्म भरने वाले छात्रों से कई जानकारियां मांगी जाती हैं जिनमें से धर्म पर भी एक कॉलम होता है. इसमें अभी तक सात विकल्प थे- हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और बाकी धर्म. अब इसमें एक और विकल्प जोड़ा गया है. मानवता या इंसानीयत. अब जो छात्र अपना धर्म नहीं बताना चाहते वो मानवता विकल्प का भी चयन कर सकते हैं.
बेथुन कॉलेज की प्रिंसिपल ममता रे ने कहा, “मानवता का विकल्प स्थापित धर्मों में विश्वास नहीं रखने वाले छात्रों के लिए रखा गया है, हालांकि कॉलेज यह नहीं मानता है कि मानवता और धर्म के बीच कोई अंतर है.”बेथुन कॉलेज के इस कदम की शिक्षा बिरादरी में काफी तारीफ हो रही है. प्रेसिडेंसी कॉलेड के पूर्व प्राचार्य अमल मुखोपाध्याय ने कहा, “एक शिक्षक के रूप में मुझे कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय पर गर्व है. किसी भी छात्र की पहली पहचान यह है कि वह एक इंसान है . कॉलेज के शिक्षकों ने छात्रों को एक इंसान के रूप में अपनी पहचान जाहिर करने का अवसर दिया है.”
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बेथुन कॉलेज 1849 में ड्रिंकवाटर बेथुन द्वारा लड़कियों के स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था. 1879 में इसे कॉलेज में बदल दिया गया. वर्तमान में यह कोलकाता यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है. इस साल कोलकाता यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी.
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