नई दिल्ली: न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने सोमवार को अदालत को सूचित किया है कि उन्होंने न्यायाधीश के रूप में अपना काम पूरा कर लिया है. इसके साथ ही कुछ वकीलों और वादकारियों ने उनसे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में इस्तीफा देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया है. […]
नई दिल्ली: न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने सोमवार को अदालत को सूचित किया है कि उन्होंने न्यायाधीश के रूप में अपना काम पूरा कर लिया है. इसके साथ ही कुछ वकीलों और वादकारियों ने उनसे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में इस्तीफा देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया है. बता दें कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि वो मंगलवार को इस्तीफा (सेवानिवृत्त) होंगे और उसके बाद अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा करेंगे.
अंतिम दिन कोर्ट रूम में लोग भावुक दिखे है. साथ ही वकील ने कहा है कि – हमें मत छोड़िए, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि अब मेरा काम हो गया है. उसी दौरान एक महिला ने उनके पैर छूने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इसी तरह झारखंड से एक महिला उनके इस्तीफे की खबर सुनकर आईं थी. हालांकि महिला चाहती थी कि जस्टिस गांगुली इस्तीफा ना दें. इस आखिरी आदेश में कोर्ट में पूर्वी मेदिनीपुर मामले की सुनवाई हुई, और अपने आदेश में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सतर्कता विभाग ने जिला न्यायाधीश के खिलाफ एक बहुत ही महत्वपूर्ण शिकायत दर्ज की है. मैं न्याय निदेशक से रिपोर्ट की समीक्षा करने और कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध करूंगा. बता दें कि ऐसी भी अटकलें सामने आ रही है कि वो मेदिनीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं.
जस्टिस गंगोपाध्याय के राजनीति में आने पर तीखी बहस चल रही है. जस्टिस गंगोपाध्याय वही हैं जिन्होंने एक बार जांच की धीमी गति को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और पीएम नरेंद्र मोदी से शिकायत करने की बात कही थी. वो हमेशा सत्तारूढ़ कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं. बता दें कि उन्हें अन्याय से लड़ने वाला न्यायाधीश माना जाता है. चाहे वो कांग्रेस हो, सीपीएम हो और फिर बीजेपी. किसी भी राजनीतिक दल को इसकी चिंता नहीं है. हर कोई उनके स्वागत के लिए तैयार है. साथ ही हाजरा कॉलेज से कानून की पढ़ाई करने वाले जस्टिस गांगुली भी एक सरकारी कर्मचारी थे, और वो 61 वर्षीय गांगुली को 2018 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. 2020 में उनकी नियुक्ति स्थायी हो गई.
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