जब बेनजीर भुट्टो को शिमला दौरे के लिए लेने पड़े थे कपड़े उधार 

साल 1972 में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ- साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी पहली बार भारत आई थीं. लेकिन वे बहुत नर्वस थीं क्योंकि उन्हें ट्रेडीशनल कपड़ों की आदत नहीं थी. ऐसे में उन्हें किसी से कपड़े उधार लेने पड़े.

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जब बेनजीर भुट्टो को शिमला दौरे के लिए लेने पड़े थे कपड़े उधार 

Aanchal Pandey

  • July 3, 2018 3:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. आज के दिन यानी 3 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शिमला में हुआ था दोनों देशों के बीच समझौता, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है. इस समझौते के बाद भारत ने पाकिस्तान के बांग्लादेश में बंदी बनाए गए करीब 90 हजार सैनिकों को छोड़ दिया था. इस समझौते के लिए खास तौर पर पाकिस्तानी पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी पहली बार भारत आई थीं. उससे भी ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि इस दौरे के लिए बेनजीर भुट्टो ने उधार के कपड़े पहने, किसी और से कपड़े लिए और एक दिन उनकी ख्वाहिश पर शिमला में ही मीना कुमारी की एक फिल्म का एक स्पेशल शो भी रखा गया था.

बेनजीर इस दौरे को लेकर काफी नर्वस थीं और उसकी एक वजह ये भी थी कि वो उन दिनों लंदन में पढ़ रही थीं. ऐसे ट्रेडीशनल कपड़े पहनने की उन्हें आदत ही नहीं थी और उनके पास ऐसे कपड़े थे भी नहीं. पहला खास मौका था भारत की सरजमीं पर कदम रखने का, 28 जून 1972 की तारीख थी. शिमला में उनका स्वागत खुद इंदिरा गांधी ने किया, जो एक साड़ी पर रेनकोट पहनकर आई थीं. बेनजीर के अस्सलाम वालेकुम का जवाब बीएम इंदिरा ने नमस्ते से दिय़ा था. इधर जबकि बेनजीर प्लेन से उतरीं तो एक चुस्त सलवार सूट में, उन्होंने कोई दुपट्टा तक नहीं डाल रखा था. काफी मुश्किल भी थी उनके लिए, कोई भी ऐसा कपड़ा वो कैरी नहीं करना चाहती थी, जिससे वो असहज हों. ये सलवार सूट उन्हें इस मौके के लिए खास तौर पर किसी ने दिया था. 

दूसरा खास मौका था 30 जून को जब पीएम इंदिरा गांधी ने पाकिस्तानी डेलीगेशन को एक वर्किंग डिनर दिया था. इस मौके पर खास तौर पर बेनजीर भुट्टो ने एक सिल्क की साड़ी पहनी थी. बड़ी मुश्किल से तो वो उसे बांधना सीख पाई थीं. ये साड़ी भी बेनजीर की नहीं थी, बल्कि किसी और की थी. पूरे डिनर के दौरान बेनजीर नर्वस नजर आईं, एक तो साड़ी पहन रखी थी, दूसरे इंदिरा गांधी लगतार बेनजीर को घूरे जा रही थीं. ऐसा एक इंटरव्यू में खुद बेनजीर ने बाद में कभी बताया था.

पांच दिन तक पाकिस्तानी डेलीगेशन भारत में रहा. इस दौरान सारे अधिकारी और बेनजीर के पिता तो शिमला समझौते की शर्तों को लेकर मीटिंग्स में ही व्यस्त रहे, लेकिन बेनजीर बोर हो रही थीं तो भारत की तरफ से दो अधिकारियों की ड्यूटी उनकी सुरक्षा और उनकी जरूरतों के लिए लगा दी गई थी. जिनको नहीं पता, वो जान लें कि शिमला समझौता 1971 के युद्ध के बाद हुआ था, जब बांग्लादेश के लिए हुए 1971 के युद्ध के बाद भारत ने 90 हजार पाकिस्तानी कैदियों को छोड़ा था और भारत पाक ने ये तय किया था कि कभी भी दोनों देशों के बीच विवाद होगा तो बिना तीसरे पक्ष के आपस में उसे सुलझाएंगे.

बेनजीर के साथ जिन दो अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी उनमें एक थे एमके काव, जो उन दिनों हिमाचल में ही तैनात थे और दूसरी थीं आईएफएस अधिकारी वीना दत्ता. बेनजीर ने उनसे कहा कि उन्हें एक खास फिल्म देखनी है. उन्होंने बेनजीर के लिए फौरन बंदोबस्त किया और शिमला के रिट्ज टॉकीज में उस फिल्म का एक स्पेशल शो बेनजीर भुट्टो के लिए रखा गया था. पूरे हॉल में केवल तीन लोग थे, एम के काव, वीना दत्ता और बेनजीर भुट्टो. 

अगर आप जानना चाहते हैं कि बेनजीर ने शिमला में किन तीन लड़कियों या महिलाओं से ड्रेस उधार लेकर पहनी? उन्होंने शिमला में किस खास फिल्म को देखने की ख्वाहिश रखी? तो देखिए विष्णु शर्मा के साथ ये वीडियो स्टोरी-

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