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Indian Economy: अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी, पिछले 9 सालों में मोदी सरकार के दूरदर्शी फैसलों दिखा प्रभाव

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार आज अपना अंतरिम बजट पेश करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का ये अंतिम बजट है. बता दें कि 2014 के बाद से मोदी सरकार के द्वारा पिछले नौ सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने त्वरित संरचनात्मक सुधारों के कारण महत्वपूर्ण वृद्धि हासिल की है, और कोरोना महामारी और उससे जुड़ी वैश्विक राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद पीएम मोदी के दूरदर्शी फैसलों और बुद्धिमानी भरे कार्यों ने भारत की आर्थिक स्थिरता को मजबूत किया है.

यही कारण है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से उभरी है. दरअसल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के आर्थिक विकास की सराहना भी की है, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक भारत दुनिया का सबसे तेजी से विकास करने वाला देश है. भारत में डिजिटलीकरण और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक सुधारों के माध्यम से वैश्विक विकास में 16% से अधिक योगदान देने की क्षमता है.

पिछले 9 सालों में मोदी सरकार के दूरदर्शी फैसलों प्रभाव दिखा

भारत की वास्तविक जीडीपी ने वित्त साल 2023-24 की पहली तिमाही मतलब अप्रैल-सितंबर 2023 में 7.7 फीसदी की बढ़त दर्ज की है. जो दुनिया की मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है, और पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी 7.8 फीसदी की वृद्धि और दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी बढ़ी है. साल 2023-24 में साल-दर-साल के आधार पर जीडीपी 7.2 फीसदी की दर से तेज़ी बढ़ी है.

बता दें कि भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी की बढ़त का 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, और आईएमएफ ने मौजूदा वित्त साल में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अपना विकास अनुमान बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया गया है. जो पहले 6.3 फीसदी का था. दरअसल आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के आर्थिक आउटलुक में 2024 के लिए ज्यादा विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की वृद्धि 0.7-1.7 फीसदी की सीमा में और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए लगभग 4 फीसदी होने का उम्मीद है. हालांकि कई संकेतकों से पता चलता है कि भारत का आर्थिक परिदृश्य बहुत बेहतर है.

बता दें कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती और काफी लचीलापन बना हुआ है. भारतीय शेयर मार्केट पहली बार वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े इक्विटी बाजार के तौर पर हांगकांग को पीछे छोड़ दिया है. साथ ही भारत के आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों की मजबूती के साथ-साथ मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति भी हुई है, और नीति आयोग के मुताबिक पिछले 9 सालों में लगभग 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर आ गए हैं, और गरीबी दर में बहुत गिरावट आई है, जिससे 2013-14 में 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी तक ही रह गई है.

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Shiwani Mishra

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