राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे सरकार द्वारा बीजेपी कार्यकर्ताओं को खुश करने का पत्र सामने आया है. इनमें मनचाही पोस्टिंग के बारे में पूछा है. कांग्रेस ने वसुंधरा सरकार के इस कदम को बेशर्म कोशिश करार दिया है.
जयपुर. राजस्थान में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओँ को लुभाने का दौर शुरू हो गया है. इस बीच वसुंधरा सरकार का कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का पत्र सामने आया है. इस पत्र के माध्यम से वसुंधरा सरकार पार्टी के नाखुश कार्यकर्ताओं को खुश करने की जुगत में नजर आ रही है. दरअसल राज्य शिक्षा विभाग ने बीजेपी विधायकों और पार्टी के जिला अध्यक्षों को एक पत्र भेजा है.
न्यूज 18 के मुताबिक, इस पत्र में लिखा गया है कि अपने करीबियों की पोस्टिंग कहां चाहते हो. यह पत्र 16 फरवरी को जारी किया गया है. यह पत्र प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के कार्यालय से जारी किया गया है और इस पर राजस्थान एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज के अधिकारी के हस्ताक्षर भी हैं. यह पत्र चुनाव से पहले बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
आधिकारिक लेटर हेड पर लिखे गए इस पत्र में बीजेपी पदाधिकारियों, पूर्व पदाधिकारियों या वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं को संकेत देने के लिए कहा गया है कि वे अपने रिश्तेदारों की कहां पोस्टिंग चाहते हैं. इसके अलावा लेटर में परिवार के सदस्य के लिए आवेदन करने का फॉरमेट दिया गया है और बीजेपी विधायकों या जिला अध्यक्षों से इस एप्लीकेशन को ईमेल के द्वारा फॉरवर्ड करने के लिए कहा गया है.
बता दें कि हाल ही में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई है. इस हार के बाद वसुंधरा राजे को अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी का एहसास हुआ है. माना जा रहा है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ही राजे सरकार द्वारा यह हथकंडा अपनाया जा रहा है. कांग्रेस ने इसे हालिया उप-चुनावों में पार्टी की हार के बाद असंतुष्ट बीजेपी सदस्यों को लुभाने का एक बेशर्म तरीका बताया.
राजस्थान कांग्रेस आध्यक्ष सचित पायलट ने इस मामले पर मीडिया को बताया कि हाल के उपचुनावों में मिली हार ने बीजेपी को चौंका दिया है. इसलिए इस तरह से वो अपने कार्यकर्ताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. ये कदम असंवैधानिक है और उन्हें जल्द से जल्द इस कदम को वापस लेना चाहिए. इसके अलावा राज्य के शिक्षक संघ ने भी इस पत्र की आलोचना की है.
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