नई दिल्ली। आम आदमी के लिए खाने-पीने में खट्टेपन के लिए इस्तेमाल होने वाले नींबू को घर लाना बहुत महंगा हो गया है. देशभर में एक नींबू की कीमत 15 से 20 रुपये तक पहुंच गई है. वहीं अगर एक किलो नींबू की बात करें तो कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. एक महीने पहले कीमत 70-80 रुपये थी. यानी कीमत करीब 6 गुना बढ़ गई है.
देश भर में 40-45% नींबू की आपूर्ति आंध्र प्रदेश की इलूर मंडी से की जाती है। लगभग इतनी ही आपूर्ति तिरुपति जिले की गुडूर मंडी से की जाती है. शेष 10% आपूर्ति तेलानी, राजमुंदरी मंडियों से होती है. इलूर मंडी में 20 हजार से अधिक नींबू उत्पादन करने वाले किसान पंजीकृत हैं. सामान्य मौसम में पूरे देश में यहां से रोजाना 25 ट्रक (एक ट्रक में 21 टन) की आपूर्ति की जाती है. लेकिन अभी मुश्किल से 5 ट्रक यानी 5 गुना कम सप्लाई हो रही है.
एक ट्रक नींबू की कीमत 5 लाख से 31 लाख रुपये तक
पिछले दो वर्षों में नींबू किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इसका कारण कोरोना महामारी है. ईल्लूर में 5 हेक्टेयर में नींबू की खेती करता एक किसान निरंजन ने बताया कि कोरोना काल में नींबू ने अच्छा हुआ, लेकिन बाजार नहीं खुला. वहीं पिछले साल दिसंबर में हुई बारिश ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था. ऐसे में आपूर्ति कम हो गई और एक ट्रक नींबू जो पहले 5 लाख रुपये में मिलता था, वह अब 31 लाख रुपये में मिल रहा है.
नींबू के लिए आंध्र की मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इसे लगातार पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है. पौधा 3-4 साल में फल देना शुरू कर देता है और अगले 5 साल तक केवल खाद और पर्याप्त पानी ही इसे जीवित रखता है और यह नींबू देता रहता है.
जमालपुर और कालूपुर के बाजारों में नींबू का थोक भाव 140 रुपये से लेकर 160 रुपये प्रति किलो के बीच है. कारोबारियों के मुताबिक गुजरात और खासकर अहमदाबाद में नींबू से मुनाफा बहुत कम है. पिछले साल गुजरात में आए चक्रवाती तूफान की वजह से सौराष्ट्र में नींबू की फसल बर्बाद हो गई थी. इसका खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ा. किसानों की आय कम होने से नींबू के दाम बढ़े हैं.
दक्षिण गुजरात के किसान थोक व्यापारियों को 100 से 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नींबू बेचते हैं. अहमदाबाद में जब माल उतरता है तो अर्ध-थोक विक्रेता 140 से 160 रुपये में मिलता है. बाजार के बाहर बड़े व्यापारियों तक पहुंचकर कीमत 180 से 200 रुपये प्रति किलो तक जाती है. छोटी दुकानों और सब्जी विक्रेताओं को यह 200 से 250 रुपये में मिल जाती है और आम आदमी तक इसकी कीमत 300-400 रुपये तक हो जाती है.
गुजरात में नींबू भी महाराष्ट्र, चेन्नई और कर्नाटक से आता है. गर्मी के मौसम में अहमदाबाद में ही प्रतिदिन 150 टन नींबू का सेवन किया जाता है, जबकि वर्तमान में नींबू की आवक 70 टन प्रतिदिन ही होती है. इससे भी नींबू के दाम आसमान पर पहुंच गए.
इस बार दक्षिण भारत से नींबू की आवक भी काफी कम है. इस तरह मौजूदा हालात को देखते हुए साफ तौर पर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में नींबू की कीमतों में और इजाफा होगा. अब बारिश के बाद नियमित आवक शुरू होने के बाद ही नींबू की कीमतों में कमी आएगी.
जयपुर की मुहाना मंडी में बढ़ती गर्मी के साथ रमजान और शादियों का सीजन शुरू होने से नींबू की खपत बढ़ गई है. लेकिन खपत के हिसाब से नींबू की आपूर्ति नहीं हो रही है. इसलिए किसान भी इस मांग का फायदा उठाकर नींबू के मनमाने दाम वसूल रहे हैं. थोक बाजार में नींबू का भाव 150 रुपये किलो तक पहुंच गया है. खुदरा बाजार में इसे 400 रुपये तक बेचा जा रहा है.
बता दें कि पिछले साल ताऊ-ते तूफान के कारण देशभर में नींबू की 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई थी. इस वजह से पिछले वर्षों की तुलना में नींबू की आपूर्ति कम हो रही है. वहीं डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमत ने नींबू की कीमत भी बढ़ा दी है. बताया जा रहा है कि राजस्थान में बारिश के बाद जब नींबू उगने लगेगा तो यहां कीमतें अपने आप गिर जाएंगे.
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