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300 साल से भी पुराना है बीटिंग रिट्रीट समारोह, जानें इसका पूरा इतिहास

नई दिल्ली। 26 जनवरी के बाद 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन होने जा रहा है। चूंकि यह समारोह भारत के गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद विजय पथ पर किया जाता है, जिसके कारण कई लोगों को इस समारोह की जानकारी जानने के लिए काफी ज्यादा […]

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300 साल से भी पुराना है बीटिंग रिट्रीट समारोह, जानें इसका पूरा इतिहास
  • January 29, 2023 8:43 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। 26 जनवरी के बाद 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन होने जा रहा है। चूंकि यह समारोह भारत के गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद विजय पथ पर किया जाता है, जिसके कारण कई लोगों को इस समारोह की जानकारी जानने के लिए काफी ज्यादा उत्सुकता रहती है।

कई बार लोग बीटिंग द रिट्रीट समारोह को गणतंत्र दिवस से अलग आयोजन के रूप में देखने लगते है, जो पूरी तरह से गलत जानकारी होती है। तो इस समारोह के इतिहास से लेकर आखिर क्यों मनाया जाता है इस कार्यक्रम को इसकी जानकारी हम आपको देंगे।

भारत में सर्वप्रथम आयोजन

भारत में पहली बार 1952 में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ था। तब इसके दो कार्यक्रम हुए थे। पहला कार्यक्रम दिल्ली में रीगल मैदान के सामने तो दूसरा लालकिले में इस दौरान सेनाओं के बैंड ने पहली बार महात्मा गांधी के मनपसंद गीत Abide with me की धुन बजाई थी। तभी से ये धुन हर साल बजाई गई थी।

बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का इतिहास

बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की परंपरा सदियों पुरानी है, इसके इतिहास की बात की जाए तो 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसकी शुरुआत की गई थी। तब जेम्स द्वितीय ने शाम को जंग खत्म होने के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड करने का आदेश दिया था। इस दौरान सूर्यास्त होने के बाद सभी सैनिकों को युद्ध को बंद करने का आदेश राजा द्वारा दिया गया था। इस पंरपरा का आयोजन केवल भारत ही नहीं ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में किया गया है।

पहली बार 3 डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन का इस्तेमाल

इस बार का बीटिंग द रिट्रीट समारोह इसलिए भी खास है क्योंकि आजादी के बाद पहली बार 3 डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन का इस्तेेमाल आयोजन में किया जा रहा। इसके अलावा समारोह की शुरुआत अग्निवीर की धुन के साथ की जाएगी, जिसके बाद पाइप्स एंड ड्रम्स बैंड अल्मोड़ा, केदारनाथ, संगम दूर, क्वींस ऑफ सतपुरा, भागीरथी जैसी मोहक धुनें बजाएंगे। वहीं भारतीय वायु सेना के बैंड द्वारा अपराजेय अर्जुन, चरखा, वायु शक्ति, स्वदेशी की धुन बजाएंगे। जबकि भारतीय नौसेना का बैंड एकला चला रे, हम तैया है की धुनें बजाएंगे।

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