नई दिल्ली: Mahatma Gandhi Death Anniversary: देश को आजाद हुए छह महीने भी नहीं हुए थे। उस समय देश अनेक परेशनियों से जूझ रहा था। देश बँटवारे के बाद हुए हिंदू मुस्लिम विद्रोह से उबरने की कोशिश में था। लेकिन 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी की हत्या कर दी गई और इससे देश को […]
नई दिल्ली: Mahatma Gandhi Death Anniversary: देश को आजाद हुए छह महीने भी नहीं हुए थे। उस समय देश अनेक परेशनियों से जूझ रहा था। देश बँटवारे के बाद हुए हिंदू मुस्लिम विद्रोह से उबरने की कोशिश में था। लेकिन 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी की हत्या कर दी गई और इससे देश को एक और झटका लगा। आज इस घटना को हुए 75 साल बीत चुके हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में भी हमें अहिंसा पर गाँधी जी के विचारों को लाने की आवश्यकता है। गाँधी जी की अहिंसा विचार आज के दौर में किस प्रकार उपयोगी हो सकती है, यह सोचने पर हम सभी विवश हैं।
महात्मा गाँधी राष्ट्रवाद और धार्मिकता के बीच संतुलन कैसे स्थापित करते और कैसे लोगों को एकजुटता और अहिंसा का मार्ग दिखाते? रुस-यूक्रेन युद्ध के बारे में दुनिया को क्या संदेश देते और भारत को किस तरह का रवैया अपनाने की सलाह देते? वे भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता पर क्या जवाब देने को कहते…? यह तमाम सवाल एक बहस का विषय होगा।
आपको बता दें, गाँधी जी का सबसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्य अहिंसा था और आज भी वे अहिंसा के महत्व का प्रचार करते और लोगों को अहिंसा का महत्व समझाते। उन्होंने अपने जीवनकाल में अंग्रेजों के अत्याचारों को देखा और शक्तिशाली होने के बाद भी उनसे निपटने के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन और धार्मिक मूल्यों को लागू किया और सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया।
अहिंसा का शाब्दिक अर्थ हिंसा न करने से है। इसका मतलब है कि आपको किसी को मारने या किसी को चोट पहुँचाने की ज़रूरत नहीं है। व्यापक अर्थ में, अहिंसा का अर्थ यह शरीर, मन, कर्म, वन और वाणी के माध्यम से किसी भी जीव को हानि नहीं पहुँचाना होता है, और कर्मों के माध्यम से किसी भी जीव के साथ हिंसा न करना। मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अहिंसक हो सकता है।
गाँधी जी के अनुसार मनुष्य स्वाभाविक रूप से अहिंसा को प्रेम करता है और विपरीत परिस्थितियों में ही हिंसक रूप धारण कर लेता है। उन्होंने कहा कि अहिंसा सभी शक्तियों में सबसे शक्तिशाली है। उन्होंने कहा कि केवल शक्तिशाली ही क्षमा कर सकते हैं, सच्चे अर्थों में कमजोर नहीं और जो भी हिंसा करता है वह वास्तव में कमजोर होता है।