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बांग्लादेश के हालात पर दिल्ली में सर्वदलीय बैठक शुरू, स्थिति को लेकर असमंजस में सरकार

नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। देश की कमान संभाले सेना प्रदर्शनकारियों को हिंसा करने नहीं रोक पा रही। शेख हसीना देश छोड़कर भारत में हैं तो वहीं वहां रह रहे 1 करोड़ हिंदुओं की जान को भी खतरा है, जिन्हें अब निशाना बनाने का काम शुरू हो गया […]

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बांग्लादेश के हालात पर दिल्ली में सर्वदलीय बैठक शुरू, स्थिति को लेकर असमंजस में सरकार
  • August 6, 2024 10:25 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। देश की कमान संभाले सेना प्रदर्शनकारियों को हिंसा करने नहीं रोक पा रही। शेख हसीना देश छोड़कर भारत में हैं तो वहीं वहां रह रहे 1 करोड़ हिंदुओं की जान को भी खतरा है, जिन्हें अब निशाना बनाने का काम शुरू हो गया है। इन सबके बीच मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, सपा से रामगोपाल यादव समेत कई अन्य नेता भी मौजूद हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर बैठक में वहां के अब तक के हालात पर ब्रीफिंग दे रहे हैं।

ये थी प्रदर्शन की वजह

बता दें कि 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ था तो वहां 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें पिछड़े जिलों के लिए 40%, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30% और महिलाओं को 10% का आरक्षण दिया गया। वहीं सामान्य छात्रों के लिए महज 20 फीसदी सीटें रखी गई। बाद में पिछड़े जिलों के आरक्षण को घटाकर 10% कर दिया गया। इसमें अल्पसंख्यकों के लिए 5% और विकलांग छात्रों के लिए 1% कोटा और जोड़ दिया गया। जिसके बाद सामान्य छात्रों के लिए 44% सीटें बचीं। वहीं स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को मिलने वाले आरक्षण में उनके पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया। छात्र इसी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। बाद में वो शेख हसीना के इस्तीफे की मांग पर अड़ गए।

अभी कितना है आरक्षण-

वर्तमान में बांग्लादेश में सिर्फ 7 फीसदी आरक्षण है। छात्रों के प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 56% से घटाकर 7% कर दिया था। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5% कोटा, माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग को 2% कोटा कर दिया गया। देश में 93% नौकरियां मेरिट के आधार पर देने का निर्णय लिया गया। हालांकि इससे भी छात्र खुश नहीं हुए और शेख हसीना के पद छोड़ने की मांग करने लगे। धीरे-धीरे यह प्रदर्शन इतना हिंसक हो गया प्रधानमंत्री को देश छोड़कर भागना पड़ा।

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