नई दिल्ली: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर फैली हिंसा ने पूरे देश को बर्बाद कर दिया है। दंगों में 300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। पड़ोसी देश की पीएम शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आई है। लेकिन क्या आपको पता है इससे पहले भी शेख हसीना ने […]
नई दिल्ली: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर फैली हिंसा ने पूरे देश को बर्बाद कर दिया है। दंगों में 300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। पड़ोसी देश की पीएम शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आई है। लेकिन क्या आपको पता है इससे पहले भी शेख हसीना ने भारत में शरण ली थी।
15 अगस्त 1975 को शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान समेत परिवार के 17 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। उस समय शेख हसीना और उनकी बहन जर्मनी में थीं, इसलिए वे बच गईं। इंदिरा गांधी सरकार ने उस समय शेख हसीना और उनकी बहन शेख़ रेहाना को भारत में शरण दी थी। तब वे 6 साल तक दिल्ली में रहीं। हालात सामान्य होने पर शेख हसीना ने बांग्लादेश लौटने और अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने का फैसला किया।
इसके बाद मई 1981 में वे भारत से बांग्लादेश पहुंचीं। शेख हसीना को 16 फरवरी 1981 में आवामी लीग का अध्यक्ष चुना गया। यहां से उनके राजनीतिक करियर की नई शुरुआत हुई। आपको बता दें 1980 का दशक में वे अलग अलग जगहों पर हिरासत में रहीं। उन्हें 1984 में नवंबर तक हाउस अरेस्ट रखा गया।
शेख हसीना 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने 2001 तक सत्ता की कमान संभाली। इसके बाद 2008, 2014, 2018 और 2024 में भी आम चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनीं।
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