नई दिल्ली: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक अंतिम माह जुल-हिज्जा में बकरीद मनाई जाती है. इस बार भारत में बकरीद या ईद-उल-अजहा कल यानी 29 जून को मनाई जाएगी. हालांकि बकरीद या कोई भी मुस्लिम त्योहार की तारीख चांद को देखकर ही तय की जाती है. बता दें कि बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता हैं, […]
नई दिल्ली: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक अंतिम माह जुल-हिज्जा में बकरीद मनाई जाती है. इस बार भारत में बकरीद या ईद-उल-अजहा कल यानी 29 जून को मनाई जाएगी. हालांकि बकरीद या कोई भी मुस्लिम त्योहार की तारीख चांद को देखकर ही तय की जाती है. बता दें कि बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता हैं, जिसका अर्थ है कुर्बानी वाली ईद. माना जाता है कि इस दिन अपने सबसे प्रिय वस्तु की कुर्बानी देकर खुदा की बताई राह पर चलने की कोशिश करते हैं.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ज़ुल-हिज्जा के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर लोग हज करते हैं. दरअसल ईद-उल-अजहा के दिन मक्का की वार्षिक हज यात्रा का समापन होता है. ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन बकरीद या ईद-उल-अजहा सेलिब्रेट करते हैं. ईद-उल-अजहा के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. चलिए जानते हैं बकरीद या ईद-उल-अजहा का इतिहास और साथ ही इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें-
– इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, हजरत इब्राहिम ने अपने सपने में देखा था कि वे अपने सबसे प्रिय बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इस सपने को अल्लाह का संदेश मानकर अपने 10 वर्ष के बेटे को कुर्बान करने का निर्णय लिया.
– उस दौरान अल्लाह ने उनको बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने का संदेश दिया था. तब उन्होंने बेटे के बदले सबसे प्रिय बकरे को अल्लाह की राह पर कुर्बान कर दिया. तब से ही बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा जारी है.
– बकरीद के दिन पर दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ते हैं और साथ ही सच्चे दिल से खुदा की इबादत करते हैं. फिर उसके बाद ही जानवर की कुर्बानी देते हैं.
– बता दें कि बकरीद के शुभ दिन पर लोग भेड़, बकरा और ऊंट की कुर्बानी देते हैं. फिर कुर्बानी के बाद गोश्त को 3 हिस्सों में बांटा जाता हैं. जिसमें से पहला हिस्सा जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता, दूसरा हिस्सा परिवार और तीसरा हिस्सा रिश्तेदारों या फिर दोस्तों में बांटा जाता है.