बदायूं : वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग होने के दावों के बाद अब उत्तरप्रदेश के बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर नया दावा सामने आया है. जहां जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. इस संबंध में बदायूं की सिविल कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई है जिसपर […]
बदायूं : वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग होने के दावों के बाद अब उत्तरप्रदेश के बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर नया दावा सामने आया है. जहां जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. इस संबंध में बदायूं की सिविल कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई है जिसपर कोर्ट 9 सितंबर को सुनवाई करेगी. यह याचिका अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचबी) द्वारा दर्ज़ की गई है जिसपर सुनवाई करते हुए एक सिविल कोर्ट ने शुक्रवार को मामला दर्ज करने का आदेश भी दिया है.
अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल निवासी गांव भरकुइयां थाना सिविल लाइंस, अधिवक्ता अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश, डाक्टर अनुराग शर्मा व उमेश चंद्र शर्मा द्वारा दी गई इस याचिका में कई तरह के दावे किए गए हैं. याचिका में बदायूं स्थित जामा मस्जिद परिसर के वास्तविक में एक हिंदू राजा का किला होने का दावा किया गया है. साथ ही दावा किया गया है कि जामा मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनवाई गई थी.
इस संबंध में कोर्ट ने जामा मस्जिद के इंतेज़ामिया समिति, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग, केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, बदायूं ज़िला मजिस्ट्रेट और राज्य के प्रमुख सचिव को जवाब देने का आदेश दिया है. जबकि मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को नोटिस जारी कर उनका पक्ष रखने का नोटिस दिया जा चुका है. याचिका में पहले पक्षकार स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव के महाराज हैं. मस्जिद विवाद को धीरे-धीरे बढ़ता देख पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है.
याचिका में वादी ने ऐतिहासिक पुस्तकों में मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के ज़िक्र का हवाला दिया है. सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित कराई गई पुस्तक में दिए गए इतिहास में भी इसी तरह का तथ्य होने का दावा है. बहरहाल कोर्ट इस मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार यानी कि 9 सितंबर को करेगी. बता दें, बदायूं की ये मस्जिद देश की सबसे बड़ी जामा मस्जिदों में शुमार है.
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