Babri Masjid Demolition Case: बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल कारसेवकों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग कर रही हिंदू महासभा

Babri Masjid Demolition Case, Babri Masjid Todane wale Karsewak ke Case waps lene ki maang: बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल कारसेवकों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग की जा रही है. हिंदू महासभा ने ये मांग करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में, अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रमुख स्वामी चक्रपाणि ने भी 1992 या उससे पहले अयोध्या आंदोलन के दौरान मारे गए सभी भगवान राम भक्तों के लिए शहीद का दर्जा देने की मांग की. हिंदू महासभा ने यह भी मांग की कि आंदोलन में भाग लेने वालों को स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर धर्मिक सेनानी घोषित किया जाए. आउटफिट ने मांग करते हुए तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि मस्जिद के स्थान पर मंदिर का अस्तित्व है. मांग है कि सरकार कारसेवकों को पेंशन और अन्य सरकारी विशेषाधिकार प्रदान करती रहे. गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजा गया पत्र.

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Babri Masjid Demolition Case: बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल कारसेवकों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग कर रही हिंदू महासभा

Aanchal Pandey

  • November 13, 2019 12:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

अयोध्या. अखिल भारत हिंदू महासभा ने मंगलवार को 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के लिए ‘कारसेवकों’ के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग की है. संगठन ने यह मांग उठाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी फैसला सुनाया है कि मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में, एबीएचएम प्रमुख स्वामी चक्रपाणी ने भी 1992 या उससे पहले अयोध्या आंदोलन के दौरान मारे गए सभी भगवान राम भक्तों के लिए शहीद का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार अन्य प्रतिभागियों को धर्मिक सेनानी घोषित करे और उन्हें पेंशन और अन्य सरकारी विशेषाधिकारों के लिए हकदार बनाए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र भेजा गया था.

चक्रपाणि द्वारा लिखित पत्र में शुरू में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को श्री राम लल्ला के पक्ष में अपना फैसला दिया, और अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक मंदिर वहां मौजूद है. इस संबंध में, मैं आपसे तीन मांग करना चाहता हूं. स्वामी चक्रपाणि ने कहा, चूंकि यह स्पष्ट है कि एक मंदिर मौजूद था, इसलिए इसके ऊपर गुंबद मंदिर का था और बाबरी मस्जिद का नहीं. इसलिए, भगवान राम-भक्त कारसेवकों के खिलाफ चल रहे मामलों को सरकार द्वारा तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने यह जोड़ते हुए कहा कि कारसेवकों ने अनजाने में मंदिर के गुंबद को ध्वस्त कर दिया था. अपनी दूसरी मांग में, एबीएचएम प्रमुख ने 1992 या उससे पहले अयोध्या आंदोलन में भाग लेते हुए मारे गए कारसेवकों के लिए शहीद का दर्जा मांगा.

उन्होंने लिखा, कारसेवा के दौरान मारे गए कारसेवकों (1992 में या किसी अन्य कारसेवा में) को शहीदों का दर्जा दिया जाना चाहिए. उनकी सूची अयोध्या में बनाई और स्थापित की जानी चाहिए. इसके अलावा, उनके परिवार को वित्तीय सहायता और नौकरी दी जानी चाहिए. एबीएचएम प्रमुख ने यह भी मांग की कि आंदोलन में भाग लेने वालों को स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर ‘धर्मिक सेनानी’ घोषित किया जाए. उन्होंने कहा, भगवान राम के सभी भक्त, जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए ‘कारसेवा’ (पहले) की थी, को ‘स्वतंत्र सेनानी’ की तर्ज पर ‘धार्मिक सेनानी’ घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर ‘धर्मनिक सेनाओं’ को मासिक वेतन और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जानी चाहिए. स्वामी चक्रपाणि महाराज अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जो हिंदू महासभा का आधिकारिक नाम है. न्होंने कहा, यह पत्र अखिल भारतीय हिंदू महासभा के दिल्ली कार्यालय से प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री को भेजा गया था.

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