देश-प्रदेश

बाबरी मस्जिद विध्वंस के 25 सालः VHP मनाएगी ‘शौर्य दिवस’, कई राज्यों में अलर्ट

लखनऊः 6 दिसंबर, 1992..इस दिन ने देश में राजनीति की दिशा बदल दी थी. इस दिन अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया था. यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह पर गंभीर आरोप लगे. विवादित ढांचे को ढहाए जाने के इन आरोपों की चिंगारी 7RCR भी पहुंची थी. वो रविवार का दिन था और तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव अपने आवास (7RCR) पर आराम फरमा रहे थे. उन पर आरोप लगे थे कि वह इस बारे में सब जानते थे. बहरहाल आज बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी है तो वहीं विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और कई हिंदूवादी संगठन इसे ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाते हैं. विश्व हिंदू परिषद ने आज अयोध्या और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में ‘शौर्य दिवस’ मनाने की घोषणा की है.

‘शौर्य दिवस’ मनाने के ऐलान से पहले ही यूपी में पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद हो गया है. अलर्ट जारी किया गया है. जगह-जगह सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. देश में कहीं भी सांप्रदायिक तनाव की घटना ना होने पाए इसके लिए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी करते हुए शांतिपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती के भी निर्देश दिए हैं. वीएचपी के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कोलकाता में आज रैली करेंगी. आज लेफ्ट पार्टियां भी बाबरी मस्जिद गिराने का विरोध करेंगी.

क्या हुआ था 6 दिसंबर, 1992 को?

6 दिसंबर, 1992 रविवार के दिन सुबह करीब 10 बजे से ही हजारों-लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्या स्थित विवादित स्थल पहुंचने लगे थे. कारसेवकों की जुबां पर बस एक ही नारा था और वो था.. ‘जय श्रीराम.’ इस दौरान विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के कुछ नेता भी वहां मौजूद थे. बताया जाता है कि पुलिसबल ने कारसेवकों की पहली कोशिश को नाकाम कर दिया था. जिसके बाद 12 बजे करीब कारसेवकों के जत्थे ने एक और कोशिश की और वह सफल हो गए. देखते ही देखते लोगों का हुजूम उन्मादी हो गया और कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया. जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.

बताया जाता है कि इस मामले में तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने के आदेश दिए थे. मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी मामले को पूरी गंभीरता से समझ रहे थे लेकिन उनके पास आदेश नहीं थे. यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उस समय कारसेवकों को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं थी. कारसेवकों ने दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर पहला गुंबद ढहा दिया था और फिर 5 बजने में जब 5 मिनट बचे थे, तब तक पूरा का पूरा विवादित ढांचा जमींदोज किया जा चुका था.

 

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Aanchal Pandey

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