Babri Demolition Case Verdict: क्या है बाबरी मस्जिद केस, 6 दिसंबर 1992 की घटना ने कैसे बदलकर रख दी थी भारत की सियासत?

Babri Demolition Case Verdict: 6 दिसंबर 1992 को भीड़ ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढ़ाचे को गिरा दिया था. ढ़ाचा गिराने वाली भीड़ का मानना था कि विवादित ढ़ांचा भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बनाया गया था. ढ़ांचा गिराने के बाद पूरे देश में दंगे भड़के थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन दंगों मे 1800 से अधिक लोग मारे गए थे. आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में जो फैसला सुनाया था , वह जमीन की मालिकाना हक को लेकर था. जिसमें कोर्ट ने राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था.

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Babri Demolition Case Verdict: क्या है बाबरी मस्जिद केस, 6 दिसंबर 1992 की घटना ने कैसे बदलकर रख दी थी भारत की सियासत?

Aanchal Pandey

  • September 30, 2020 11:33 am Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

लखनऊ: बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में आज लखनऊ की CBI स्पेशल कोर्ट फैसला सुनाएगी. इस केस में कई दिग्गजों के नाम आरोपी के तौर पर शामिल है. गौरतलब है कि साल 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद का ढ़ाचा गिराया गया था. उस वक्त 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है और 32 आरोपी जिंदा है. इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, विनय कटियार और साक्षी महाराज के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद के कई नेता भी आरोपी हैं. अदालत ने आज सभी जिंदा आरोपियों को कोर्ट में रहने का आदेश दिया है. आपको बताते चलें कि बीते 28 सालों से मामले की सुनवाई बहुत धीमी चल रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया कि डेली बेसिस पर मामले की सुनवाई की जाए और मामले की सुनवाई कर रहे जजों का ट्रांसफर नहीं होगा. जिसके बाद से मामले की सुनवाई ने रफ्तार पकड़ी.

पूरा मामला क्या है ?
6 दिसंबर 1992 को भीड़ ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढ़ाचे को गिरा दिया था. ढ़ाचा गिराने वाली भीड़ का मानना था कि विवादित ढ़ांचा भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बनाया गया था. ढ़ांचा गिराने के बाद पूरे देश में दंगे भड़के थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन दंगों मे 1800 से अधिक लोग मारे गए थे. आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में जो फैसला सुनाया था , वह जमीन की मालिकाना हक को लेकर था. जिसमें कोर्ट ने राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिसके बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का भूमिपूजन किया.

आरोपियों के खिलाफ क्या है सबूत ?
विवादित ढ़ाचा गिराने के मामले में 30-40 हजार गवाह थे. मौखिक सबूतों में गवाहों के पुलिस को दिए बयानों को लिया गया. मामले की जांच कर रही CBI ने 1026 गवाहों की सूची बनाई. इन गवाहों में ज्यादातर पुलिसकर्मी और पत्रकार थे. यहां यह बताना जरूरी है कि 8 BJP और VHP नेताओं के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए मजह मौखिक आरोप ही है. मौखिक सबूतों में इन नेताओं की ओर से दिए गए भाषण शामिल हैं. खासकर 1990 में जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा शुरू की, उस दौरान दिए गए बयानों को सबूत माना गया. इसके अलावा दस्तावेजी सबूत भी महत्वपूर्ण है. इसमें घटना की न्यबज रिपोर्ट्स शामिल हैं. इसके 6 दिसंबर 1992 को खींचे गए फोटो और वीडियो भी शामिल हैं.

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