जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सुब्रमण्यन स्वामी की ओर से आयोजित की जाने वाली 'अयोध्या में राम मंदिर क्यो' पर चर्चा को रद्द कर दिया गया है. इस मुद्दे पर आज रात 9:30 बजे दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चर्चा रखी गई थी, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यन स्वामी हिस्सा लेने वाले थे.
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से आयोजित की जाने वाली अयोध्या में राम मंदिर क्यों?’ चर्चा को रद्द कर दिया गया है. बता दें कि ‘अयोध्या में राम मंदिर क्यों?’ इस मुद्दे पर आज रात 9:30 बजे दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चर्चा रखी गई थी, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी हिस्सा लेने वाले थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम को एबीवीपी की ओर से आयोजित कराया जा रहा था. वहीं इसके लिए कोयना छात्रावास की वार्डन से अनुमति नहीं ली गई थी, ऐसे में इस कार्यक्रम को रद्द किया गया है. कार्यक्रम रद्द होने से नाराज स्वामी ने इसे असहिष्णुता की हद बताया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू में असहिष्णुता की हद हो गई और अब हम समझ गए हैं कि जेएनयू का सहिष्णुता का क्या स्तर है. उन्होंने कहा कि वहां जरूर वीसी पर दबाव बनाया गया होगा, इसी कारण से मेरे कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया. शायद लेफ्ट विंग के छात्र मेरे तर्कों को सुनना ही नहीं चाहते हैं.
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मैंने जेएनयू में लेक्चर देने के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. स्वामी ने कहा है कि मेरा लेक्चर क्यों कैंसिल किया गया, उसका जवाब वही लोग दे सकते हैं. वरिष्ठ बीजेपी सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वामपंथी लोग हमें इनटॉलेरेंस का पाठ पढ़ाते थे, अब उनको इस बात का जवाब देना चाहिए.
Talk titled ' Why Ram Mandir in Ayodhya?' to be held in JNU's Koyna Hostel has been cancelled by University authorities. Subramanian Swamy was to take part in the talk.
— ANI (@ANI) December 6, 2017
Please Note the Talk Of Dr @Swamy39 at JNU tonight Wed 6th Dec 2017 at 9:30 pm *”Why Ram Mandir in Ayodhya ?”* has been cancelled as the organisers have been informed by JNU.
So much for Freedom Of Speech & Tolerance ! @ippatel @sardanarohit pic.twitter.com/scEMEDm6mw
— Anupam Kumar Pandey 🇮🇳 (@AnupamkPandey) December 6, 2017
क्या हुआ था 6 दिसंबर, 1992 को?
6 दिसंबर, 1992 रविवार के दिन सुबह करीब 10 बजे से ही हजारों-लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्या स्थित विवादित स्थल पहुंचने लगे थे. कारसेवकों की जुबां पर बस एक ही नारा था और वो था.. ‘जय श्रीराम.’ इस दौरान विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के कुछ नेता भी वहां मौजूद थे. बताया जाता है कि पुलिसबल ने कारसेवकों की पहली कोशिश को नाकाम कर दिया था. जिसके बाद 12 बजे करीब कारसेवकों के जत्थे ने एक और कोशिश की और वह सफल हो गए. देखते ही देखते लोगों का हुजूम उन्मादी हो गया और कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया. जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
बताया जाता है कि इस मामले में तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने के आदेश दिए थे. मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी मामले को पूरी गंभीरता से समझ रहे थे लेकिन उनके पास आदेश नहीं थे. यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उस समय कारसेवकों को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं थी. कारसेवकों ने दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर पहला गुंबद ढहा दिया था और फिर 5 बजने में जब 5 मिनट बचे थे, तब तक पूरा का पूरा विवादित ढांचा जमींदोज किया जा चुका था.
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