देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिल्क्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue) में फंसे 41 मजदरों को बाहर निकालने की कोशिश सफल होती नजर आ रही है। इन श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान कार्यकर्ताओं ने वर्टिकल ड्रिलिंग, हॉरिजोंटल ड्रिलिंग, रैट होल माइनिंग सहित कई तरीके आजमाए। अब आखिर 17 दिनों के बाद उन्हें सफलता […]
देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिल्क्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue) में फंसे 41 मजदरों को बाहर निकालने की कोशिश सफल होती नजर आ रही है। इन श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान कार्यकर्ताओं ने वर्टिकल ड्रिलिंग, हॉरिजोंटल ड्रिलिंग, रैट होल माइनिंग सहित कई तरीके आजमाए। अब आखिर 17 दिनों के बाद उन्हें सफलता मिलने के आसार हैं। इस सुरंग हादसे की वजह यूं तो कई सारी बताई जा रही हैं पर कुछ लोग बाबा बौखनाग (Baba Baukhnag) की नाराजगी को काफी अहम मान रहे। क्या है पूरा माजरा, आइए जानते हैं।
उत्तरकाशी के स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि बाबा बौखनाग की नाराजगी की वजह से यह हादसा हुआ। स्थानीय लोग यह दावा कर रहे हैं कि सिल्क्यारा टनल के निर्माण के दौरान बिल्डर्स ने बाबा बौखनाग के प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया था। इस वजह से बाबा बौखनाग नाराज हो गए और यह हादसा हुआ। लोगों का मानना है कि बाबा बौखनाग की नाराजगी की वजह से ही सुरंग में फंसे मजदूरों को निकलाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बहुत सी दिक्कतें आईं। जब श्रमिकों को बाहर निकालने के कई प्रयास विफल हो गए तो निर्माण कंपिनयों के अधिकारियों ने बाबा बौखनाग से माफी मांगी। अब ऐसा माना जा रहा है कि बाबा बौखनाग ने अधिकारियों को माफ कर दिया है। तभी टनल से मजदूरों के बाहर आने की संभावना बढ़ी है।
जानकारी हो कि इस हादसे के कुछ दिन बाद ही सुरंग के मुहाने पर बाबा बौखनाग (Baba Baukhnag) का मंदिर बनाया गया। यहां आकर रेस्क्यू ऑपरेशन में उतरने से पहले एक्सपर्ट और टीमें बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लेते हैं और ऑपरेशन सफल होने की कामना करते हैं। बचाव अभियान को सफलता की ओर बढ़ते देख उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी बाबा बौखनाग को धन्यवाद कहा है। साथ ही विदेशी एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा बौखनाग के मंदिर पर माथा टेका है।
बता दें कि बाबा बौखनाग के मंदिर के पीछे महादेव की परछाई नजर आ रही है। इसे देख ऐसा माना जा रहा है कि ऑपरेशन को सफल करने के लिए बाबा बौखनाग अपना आशीर्वाद दे रहे हैं।
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उत्तराखंड के नौगांव में पहाड़ों के बीच बाबा बौखनाग का मंदिर बना हुआ है। राड़ी कफनौल राजमार्ग के पास स्थित यह मंदिर 10,000 फीट की ऊंचाई पर है। यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को 4,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यहां प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। ऐसा माना जाता है कि नवविवाहित और निसंतान लोग सच्चे मन से और नंगे पैर इस त्योहार में भाग लेते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई थी। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण टिहरी जिले के सेम मुखेम से आए थे, इसलिए हर साल सेम मुखेम और बाबा बौखनाग का भव्य मेला आयोजित होता है।