अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के फैसले से अयप्पा के लाखों भक्तों के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं.
नई दिल्ली. केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की तरफ से दायर की गई है. नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन ने में कहा है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आईं थीं वे अयप्पा भक्त नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों अयप्पा भक्तों के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं. फैसले के जरिए लोगों की आवाज़ के लिए मेल नहीं खाया जा सकता.
याचिका में कहा गया है – “याचिकाकर्ताओं का मानना है कि कोई भी कानूनी विद्वान, यहां तक कि सबसे बड़ा न्यायवादी या न्यायाधीश भी जनता के सामान्य ज्ञान और ज्ञान का मैच एक नहीं हो सकता. इस देश में उच्चतम न्यायिक न्यायाधिकरण की कोई न्यायिक घोषणा नहीं है. दिलचस्प बात ये है कि केवल याचिकाकर्ता और पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दायर करते हैं. यहां ये याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के सितंबर के फैसले में पक्षकार नहीं हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 800 साल पुरानी परंपरा टूट गई थी. सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र वाली महिलाओं का प्रवेश 800 साल से वर्जित था. इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे इसलिए महिलाओं का उनके मंदिर में जाना ठीक नहीं है. मंदिर प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं है इसलिए नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर की गई है.