Ayodhya Verdict Ram Janmabhoomi Babri Masjid Case Today: अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जानिए 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था

Ayodhya Verdict Ram Janmabhoomi Babri Masjid Case Today, Know 2010 Allahabad High Court Judgement full details: अयोध्या रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाने जा रहा है. इससे जानिए कि 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या मामले पर क्या फैसला सुनाया था. साथ ही रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा को बराबर जमीन का बंटवारा करने के फैसले के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की फिर सुनवाई क्यों हुई?

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Ayodhya Verdict Ram Janmabhoomi Babri Masjid Case Today: अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जानिए 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था

Aanchal Pandey

  • November 9, 2019 3:06 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज सुबह 10.30 बजे सालों से चले आ रहे अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर फैसला आने वाला है. यह देश का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. वैसे तो अयोध्या जमीन विवाद पिछले कई दशकों से चला आ रहा है मगर सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर मुकदमा इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 में आए फैसले के बाद चला. आइए जानते हैं कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर क्या फैसला सुनाया था, क्यों हिंदू और मुस्लिम पक्षकार उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हुए थे और शीर्ष अदालत को इस मामले की सुनवाई करनी पड़ी?

क्या है अयोध्या मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या जमीन विवाद मामले पर अपना फैसला सुनाया. इस फैसले के बाद सभी को लग रहा था कि करीब पांच दशकों से चला आ रहा अयोध्या विवाद सुलझ जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन का तीन हिस्से में बंटवारा कर दिया और इस केस की तीन प्रमुख पार्टियां रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बराबर बांट दिया.

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में माना था कि यह मामला अदालत में आने से पहले विवादित जमीन पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पूजा करते थे या नमाज पढ़ते थे. हाईकोर्ट बेंच ने विवादित ढांचे की जमीन को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हुए इसे हिंदू पक्ष यानी रामलला विराजमान को सौंपने का फैसला सुनाया. जबकि निर्मोही अखाड़ा को बाहर की तरफ राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा मिला. वहीं मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को अंदर और बाहर की ओर बचे भूभाग का हिस्सा देने का फैसला सुनाया.

जब जमीन बराबर बंटी तो फिर विवाद क्यों हुआ?
वैसे तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को बराबर तीन हिस्सों में बांटकर मामले को साधारण करने की कोशिश की. मगर ऐसा हुआ नहीं. हाई कोर्ट के फैसले से सभी पक्ष संतुष्ट नहीं हुए और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई की अर्जी डाल दी. हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों पूरी विवादित जमीन पर अपना मालिकाना हक होने का दावा कर रहे हैं. जबकि निर्मोही अखाड़ा राम मंदिर बनाने के पक्ष में तो है लेकिन जमीन के हिस्सेदारी पर भी उसका दावा है.

सु्प्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले पर चली सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के अलावा और भी पक्षकारों ने अपनी दलीलें दीं. इसमें हिंदू महासभा, मोहम्मद सिद्दीकी, गोपाल सिंह विशारद, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति, मिसाबुद्दीन, हासिम अंसारी, फारूख अहमद, मौलाना महफूज रहमान और त्रिलोक नाथ पांडेय की ओर से भी पक्ष रखा गया.

शीर्ष अदालत ने इन सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 16 अक्टूबर 2019 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. साथ ही सभी पक्षकारों से मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर जवाब भी मांगा गया था. अब आज यानी शनिवार 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने जा रहा है, जिसपर पूरे देश की नजरें टिकी हैं.

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