Ayodhya Verdict Highlights: तीसरे पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट, 23 मार्च को अगली सुनवाई

Ayodhya verdict LIVE Update: सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई पर बुधवार को स्वामी की याचिका को देखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उनकी याचिका पर सुनवाई अलग बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या इस मामले में तीसरे पक्षों यानी हस्तक्षेप याचिकाओं को सुना जाए या नहीं. शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी इस मामले में पक्षकारों पर समझौता करने का दबाव नहीं डाल सकता.

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Ayodhya Verdict Highlights: तीसरे पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट, 23 मार्च को अगली सुनवाई

Aanchal Pandey

  • March 14, 2018 3:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम मंदिर को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि इस मामले में किसी अन्य को अब पक्षकार न बनाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा आप मुख्य मामले में पक्ष नहीं हैं. जिस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि याचिका दाखिल करना मेरा अधिकार है. पहले कुछ लोगों ने मेरे कपड़ों पर एतराज़ किया. अब उन्हें मेरी मौजूदगी पर ही एतराज़ है. मामले पर अगली सुनवाई 23 मार्च को दोपहर दो बजे होगी.

यूपी सरकार के तरफ से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने भी कहा कि तीसरे पक्षों यानी हस्तक्षेप याचिकाओं को इस मामले में नहीं सुना जाना चाहिए. जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या इस मामले में तीसरे पक्षों यानी हस्तक्षेप याचिकाओं को सुना जाए या नहीं. स्वामी की याचिका पर अलग से बेंच सुनवाई करेगी। स्वामी ने कहा पूजा का उनका मौलिक अधिकार है.

कोर्ट ने साफ किया कि अयोध्या मुख्य मामले की सुनवाई के साथ स्वामी की याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा कोर्ट. स्वामी ने कोर्ट में कहा कि स्वामी ने कहा कि पूजा करने का अधिकार प्रॉपर्टी के अधिकार से बड़ा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक़्फ़ बोर्ड की अर्जी को फिलहाल लंबित रखा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी इस मामले में पक्षकारों पर समझौता करने का दबाव नहीं डाल सकता. दरअसल कोर्ट ने बात तब कही जब एक हस्तक्षेप याचिकाकर्ता कि तरफ से कहा गया कि उसकी याचिका पर 10523 लोगों ने साइन किए हैं कि इस मामले में समझौता होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले को हम संवैधानिक पीठ के समक्ष नही भेजेंगे. पहले आपको कोर्ट को इस मुद्दे पर संतुष्ट करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान हमें लगा कि मामले के हिस्से को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए तो उसे भेज सकते हैं. लेकिन पूरे मामले को हम संवैधानिक पीठ के समक्ष नही भेजेंगे. दरसअल मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये कहा गया कि मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए.

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