Ayodhya Verdict 105 Village Celebrations, Ayodhya Faisle ki Khushi 105 gaaon me Aise mnayi jaa rahi: अयोध्या राम मंदिर फैसले से खुश 105 गांवों के क्षत्रिय अब पगड़ी और जूते पहनेंगे. दरअसल, 500 साल से ये लोग नंगे पांव और नंगे सिर रहकर मंदिर पर हमले का विरोध कर रहे थे. कहा जाता है कि 16वीं सदी में मुगलों से हारने के बाद क्षत्रिय गजसिंह ने प्रतिज्ञा ली थी कि वो पगड़ी और जूते ना पहनकर विरोध करेंगे. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के पक्ष में आने के बाद 105 गांवों के क्षत्रिय खुशियां मना रहे हैं. गजसिंह की प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए अब इन गांवों के क्षत्रिय घर-घर पगड़ी बांट रहे हैं और अपनी खुशी मनाने के लिए इन्हें पहनेंगे.
अयोध्या. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिन वहां के निवासियों के लिए एक बड़ा दिन था. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर एक हिंदू मंदिर की अनुमति देने के फैसले को जारी किया और अयोध्या के साथ देशभर में खुशियां मनाई गईं. इनमें एक सबसे खास उत्सव रहा अयोध्या से सटे बाजार ब्लाॅक और उसके आसपास के 105 गांव का. दरअसल यहां के सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार मंदिर पर हुए हमले के विरोध में 500 साल से पगड़ी और जूते नहीं पहन रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मंदिर के पक्ष में फैसला देने के बाद इन लोगों ने पगड़ी बांटकर खुशी मनाई हैं. अब 500 साल बाद ये क्षत्रिय समाज के लोग पगड़ी बांध रहे हैं और चमड़े के जूते पहन रहे हैं.
दरअसल कहा जा रहा है कि सूर्यवंशी समाज के पूर्वज गजसिंह ने 16वीं सदी में मुगलों से हारने के बाद प्रतिज्ञा ली थी. उन्होंने मंदिर पर हुए हमले और अपनी हार पर नाराजगी जाहिर की और प्रतिज्ञा ली कि जब अयोध्या में दोबारा मंदिर बनेगा वो तभी पगड़ी बांधेगें और चमड़े के जूते पहनेंगे. उन्होंने यहां तक की छाते से सिर ना ढकने की प्रतिज्ञा भी ली थी. अब अपने पूर्वज की प्रतिज्ञा पूरी होते देख सूर्यवंशी क्षत्रिय पगड़ी बांट रहे हैं और बांध रहे हैं. अयोध्या और उसके आस-पास लगभग 105 गांवों में सूर्यवंशी क्षत्रिय रहते हैं. सूर्यवंशी क्षत्रिय अपने आपको भगवान राम का वंशज बताते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने जमकर उत्सव मनाया और पगड़ियां बांटी.
बताया गया है कि अब तक 400 पगड़ी बांटी जा चुकी हैं. इन 105 गांवों में लगभग डेढ़ लाख क्षत्रियों के रहने का अनुमान है. गांव वासियों ने बताया कि सूर्यवंशी क्षत्रियों ने पिछले 500 साल में शादी में, किसी और उत्सव में पगड़ी नहीं बांधी. यहां तक की पंचायत का भी सिर खुला रखता था. हालांकि जूतों में उन्होंने केवल चमड़े के जूते का संकल्प लिया था. 16 वीं सदी में चमड़े के जूते बनाकरते थे. इस कारण केवल चमड़े के जूतों का विरोध था. लेकिन अब इन जूतों को भी पहनने पर से पाबंदी हटा दी गई है. 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रियों ने कहा कि वे सभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं और अब केवल मंदिर बनने का इंतजार कर रहे हैं.
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