पटना : बीते दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था जिसकी हर ओर आलोचना की जा रही है. इसी कड़ी में अयोध्या के साधु संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. जहां राज्य के शिक्षा मंत्री के बयान पर आचार्य सत्येंद्र दास ने भी नाराज़गी जताई […]
पटना : बीते दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था जिसकी हर ओर आलोचना की जा रही है. इसी कड़ी में अयोध्या के साधु संतों में आक्रोश देखा जा रहा है. जहां राज्य के शिक्षा मंत्री के बयान पर आचार्य सत्येंद्र दास ने भी नाराज़गी जताई है. इतना ही नहीं तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने मंत्री को लेकर 10 करोड़ के इनाम देने की भी घोषणा की है.
दरअसल तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा ही कि जो कोई भी उनके सामने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटकर लेकर आएगा वो उसे 10 करोड़ का इनाम देंगे. उन्होंने आगे कहा कि मंत्री को इस बयान को लेकर तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश के सभी साधु संत चुप नहीं बैठेंगे.
अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने मामले को लेकर कड़ी निंदा की है. आचार्य ने मंत्री को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कहा है कि चंद्रशेखर के इस बयान से इस समय पूरा देश आहात है. इस बयान के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए. रामचरितमानस लोगों को जोड़ने वाला गंथ्र है. यह मानवता की स्थापना करने वाली किताब है.
गौरतलब है कि बुधवार को शिक्षा मंत्री विश्वविद्यालय में पहुंचे थे. जहां उन्होंने छात्रों को अपना संबोधन दिया था. इसी दौरान उन्होंने ये विवादित बयान दिया था. दरअसल शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सभागार में मौजूद हजारों की तादाद में छात्र छात्राओं को संबोधित कर रहे थे. इसी बीच उन्होने कहा कि भारत सशक्त और समृद्ध मोहब्बत से बनेगा, नफरत से नहीं। देश में 6 हजार से अधिक जातियां मौजूद हैं साथ ही जितनी जातियां हैं, उतनी ही नफरत की दीवार भी है. जब तक ये समाज में रहेंगी तब तक भारत विश्व गुरु नहीं बन सकता है.
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने आगे कहा कि संघ नागपुर से जुड़े लोग समाज में नफरत फैलाते हैं वो लोग समाज में मोहब्बत फैलाने के लिए निकले हुए हैं. इसके बाद शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान रामचरितमानस के कई दोहों को पढ़ते हुए कहा कि यह (रामचरितमानस) समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है.