नई दिल्ली. अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इन चैंबर सुनवाई करेगी. इन चैंबर में ये तय होगा कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में होगी या नहीं. कल होगी मामले की सुनवाई. अयोध्या मामले में 9 नवंबर के फैसले के खिलाफ खुली अदालत में समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई की जाए या नहीं, यह तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ कल सुनवाई करेगी. बता दें कि अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसडीपीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. याचिका में 9 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले पर फिर से विचार की मांग की गई थी.
इससे पहले हर्ष मंदर समेत 40 समाजसेवियों ने पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट 9 नवंबर के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. 40 समाजसेवियों के लिए वकील प्रशांत भूषण पैरवी करेंगे. इसके अलावा हिन्दू पक्ष की तरफ से पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. हिन्दू महासभा पहला हिन्दू पक्ष है जिसने अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने पर फिर से विचार करे. याचिका में कहा गया कि किसी भी पक्ष ने मोल्डिंग ऑफ़ रिलीफ में वैकल्पिक जमीन की मांग नहीं की थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा अनुच्छेद 142 के तहत मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन नही देनी चाहिए थी.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विवादित ढांचा मस्जिद थी उसे हिस्से को फैसले से हटाया जाए. विवादित ढांचा गिराने को लेकर निचली अदालत में सुनवाई चल रही है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निचली अदालत प्रभावित होगा. सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत को आदेश दे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए बिना मामले की सुनवाई कर फ़ैसला दे. हिन्दू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक आज वो पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे. हिन्दू महासभा का कहना है कि ज़मीन पर हिंदुओं के हक में गई है और मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन देने के फैसले पर कोर्ट पुनर्विचार करें. हिन्दू महासभा का कहना है कि संविधान पीठ ने अपने फैसले में माना है कि विवादित जमीन के अंदरूनी हिस्से और बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का दावा मजबूत है. ऐसे में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन मस्जिद के निर्माण के लिए नहीं देना चाहिए.
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