नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 134 साल पुराने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के ऐतिहासिक फैसले में विवादित भूमि रामलला विराजमान को देते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आदेश दिया है कि वो तीन महीने में अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि राम मंदिर का निर्माण ये ट्रस्ट करेगी जिस ट्रस्ट को गठन के बाद मंदिर बनाने के लिए जमीन ट्रांसफर कर दी जाएगी. अब सबकी नजर केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी पर टिकी है कि वो ट्रस्ट का गठन कितनी जल्दी करती है और उसके बाद ट्रस्ट कितनी जल्दी राम मंदिर बनाने का काम शुरू करता है. आकलन और अनुमान लगाने के लिए गुजरात के सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट का मॉडल हमारे सामने है जिसके चेयरमैन पूर्व सीएम केशुभाई पटेल हैं जबकि उसमें पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी समेत 7 ट्रस्टी मेंबर हैं.
अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट में कौन-कौन नेता या उद्योगपति ट्रस्टी सदस्य बन सकते हैं उन नामों पर अटकल लगाने से पहले सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट की संरचना और मेंबरशिप को समझ लें तो चीजें कुछ आसान हो जाएंगी. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आपत्ति के बावजूद तत्कालीन गृहमंत्री और डिप्टी पीएम सरदार बल्लभ भाई पटेल ने मोहम्मद गजनी से लेकर औरंगजेब तक के हाथों लूटे और तोड़े गए सोमनाथ मंदिर को फिर से बनाने का काम शुरू करवाया. इस काम के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया था जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मनोनीत 4-4 कुल 8 सदस्य होते हैं जिसमें एक चेयरमैन और एक सेक्रेटरी भी शामिल है.
सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में इस समय चेयरमैन केशुभाई पटेल के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव प्रवीण लाहरी, प्रो. जीवन परमार और कोलकाता के अंबुजा नेवतिया समूह के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया सदस्य हैं. ट्रस्ट में एक सदस्य का पद खाली है. ट्रस्ट में अमित शाह 2016 में सदस्य बने जिन्होंने भावनगर से कांग्रेस सांसद रहे प्रसन्नवदन मेहता के निधन से खाली हुई जगह ली थी. ट्रस्ट में जो एक पद खाली है वो उद्योगपति राजन किलाचंद के इस्तीफे से खाली है.
पूर्व पीएम मोरारजी देसाई भी रह चुके हैं सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मेंबर, पीएम नरेंद्र मोदी 2010 से ट्रस्टी हैं
ट्रस्ट में पीएम मोदी, केशुभाई पटेल, प्रवीण लाहरी और प्रो. जीवन परमार गुजरात सरकार के मनोनीत प्रतिनिधि हैं. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी और हर्षवर्धन नेवतिया हैं. इस ट्रस्ट में कभी कांग्रेस नेताओं का दबदबा हुआ करता था जिसमें अब बीजेपी नेताओं का बोलबाला है. पूर्व पीएम मोरारजी देसाई भी सोमनाथ ट्रस्ट के सदस्य रह चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी 2010 में गुजरात सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सोमनाथ ट्रस्ट का मेंबर बने थे.
सोमनाथ मंदिर का अयोध्या राम मंदिर कनेक्शन क्या ट्रस्ट में भी रिपीट होगा ?
1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए जब रथयात्रा निकाली तो उसकी शुरुआत सोमनाथ से ही हुई थी. सोमनाथ मंदिर विदेशी आक्रमणकारियों का सबसे बड़ा निशाना रहा है और कई बार इसे लूटा गया और तोड़ा गया. महमूद गजनी, अलाउद्दीन खिलजी, जफर खान, महमूद शाह और फिर औरंगजेब. सोमनाथ मंदिर की लूट से लेकर तोड़फोड़ की लंबी कहानी है. उसी तरह अयोध्या में राम के जन्मस्थान पर बाबरी मस्जिद बनवाने का आरोप है जिस जमीन को सुप्रीम कोर्ट ने अब रामलला विराजमान को देते हुए राम मंदिर बनाने का रास्ता खोल दिया है. सरकार को इसके लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाना है जो मंदिर बनाने निर्माण का काम देखेगा.
अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट में कौन-कौन नेता बन सकते हैं सदस्य जो बनाएंगे भव्य राम मंदिर ?
सोमनाथ ट्रस्ट की बनावट और सदस्यों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये माना जा सकता है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार जो ट्रस्ट बनाए उसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकार के प्रतिनिधि होंगे. संभव है कि उसमें दोनों सरकार के प्रतिनिधि के अलावा राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संत और नेता के साथ-साथ कुछ उद्योगपति भी स्वतंत्र रूप से या सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर ट्रस्टी बनाए जाएं. चूंकि मोदी, आडवाणी, शाह सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में हैं तो वो इसी तर्ज पर राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी बन सकते हैं क्योंकि बीजेपी के राजनीतिक उत्थान में राम मंदिर आंदोलन सबसे बड़ा मसला रहा है.
यूपी और अयोध्या का मसला है तो यूपी से ताल्लुक रखने वाले राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम कल्याण सिंह भी ट्रस्ट में मेंबर बनाए जा सकते हैं. इनके अलावा विनय कटियार, उमा भारती जैसे नेता जो राम मंदिर आंदोलन में बीजेपी का चेहरा थे, उनको भी ट्रस्ट में जगह मिल सकती है. विश्व हिंदू परिषद से कोई नेता, बाबा रामदेव या श्रीश्री रविशंकर ट्रस्ट में होंगे या नहीं, ये कहा नहीं जा सकता लेकिन ट्रस्ट में कुछ साधु और संत के अलावा उद्योगपति भी हो सकते हैं.
अयोध्या में राम मंदिर कार्यशाला में तराशे जा चुके हैं मंदिर में लगने वाले एक लाख घन फुट पत्थर
अयोध्या में संघ और विश्व हिंदू परिषद के राम मंदिर न्यास की कार्यशाला में सवा लाख घन फुट पत्थर तराशा जा चुका है. राम मंदिर निर्माण के लिए ढाई लाख घन फुट पत्थर तराशने का काम है जिसमें मोटा-मोटी आधा काम हो चुका है. सूत्रों का कहना है कि इतना पत्थर तराशने का काम पूरा हो चुका है कि मंदिर का फाउंडेशन और ग्राउंड फ्लोर तक का काम हो जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस काम में तेजी आएगी. राम मंदिर के शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा है कि मंदिर बनाने में ढाई से तीन साल का समय लगेगा और ये काम 2022 तक पूरा हो सकता है. यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव भी है.
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