Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आसान नहीं, 50 संदूक में बंद 13886 पन्ना गवाही, 4304 पेज जजमेंट देखना है जजों को

Ayodhya Ram Mandir Supreme Court Heading: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने गुरुवार को सुनवाई की. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित पर सवाल उठाए, जिसके बाद वे संवैधानिक पीठ से अलग हो गए. अब मामले में सीजेआई रंजन गोगोई नई बेंच का गठन करेंगे. अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सामने मामले से जुड़े अनुवादित दस्तावेज पेश किए जाएंगे. इस बेहद मुश्किल काम में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री दिन-रात लगी हुई है.

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Supreme Court Ayodhya Ram Mandir Hearing: लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आसान नहीं, 50 संदूक में बंद 13886 पन्ना गवाही, 4304 पेज जजमेंट देखना है जजों को

Aanchal Pandey

  • January 10, 2019 2:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली.  अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जज की संविधान पीठ 29 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट को जितने पेपर और दस्तावेज से गुजरना है, उससे ये तय है कि इस पर फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आना इतना आसान भी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के जजों को बहस और फैसले से पहले दस्तावेजों से भरे 50 संदूक में बंद 88 गवाहों की 13886 पन्नों की गवाही, 533 सबूत या प्रदर्श, 257 दस्तावेज और इलाहाबाद हाईकोर्ट के 4304 पन्ने के फैसले से गुजरना होगा. ये सारे पेपर अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के तय किए 130 सवालों से जुड़े हैं.

बीजेपी के कई नेता और हिन्दूवादी संगठन लगातार सुप्रीम कोर्ट से मांग कर रहे हैं कि वो फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई करे ताकि फैसला जल्दी आ सके. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनाने की संभावना को खारिज करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि इस मसले पर जो भी होगा वो संविधान के दायरे में रहकर होगा. सुप्रीम कोर्ट के पांच जज की संविधान पीठ को तकरीबन 18000 से ज्यादा पन्नों की गवाही और फैसले के अलावा 257 दस्तावेजों से गुजरना है. आपको समझ आ जाना चाहिए कि कितनी भी फास्ट ट्रैक रोजाना सुनवाई हो, मामला इतनी जल्दी नहीं सुना जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कोई फैसला आ जाए.

चूंकि ये दस्तावेज हिंदी, अरबी, गुरुमुखी और उर्दू, फारसी भाषा में हैं, लिहाजा रजिस्ट्री दिन-रात काम करके इनका अनुवाद कर रही है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि काम पूरा करने के लिए रजिस्ट्री को कितना वक्त चाहिए, इसकी रिपोर्ट उन्हें देनी होगी. अनुवाद के बाद ही इन दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जा सकता है. इस दौरान राजीव धवन और हिंदू पक्ष के वकील हरीश ने बेंच से दस्तावेजों के प्रबंधन और अनुवाद के काम में मदद करने की पेशकश की. लेकिन चीफ जस्टिस ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वे अनुवाद का काम पूरा करने के लिए सिर्फ अपनी रजिस्ट्री पर ही भरोसा करेंगे. शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को 15 दिनों में रिपोर्ट जमा कराने के निर्देश के बाद अगली सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तारीख मुकर्रर कर दी.

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