अयोध्या: भूमि पूजन के साथ ही अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इंजीनियर्स की एक टीम मंदिर निर्माण स्थल के आसपास की मिट्टी की जांच कर रही है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने गुरुवार को सुबह ट्वीट कर यह जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक राम मंदिर के निर्माण में देश की प्राचीन और पारंपरिक निर्माण तकनीकों का पालन किया जाएगा. इसके अलावा मंदिर का निर्माण ऐसे किया जाएगा जिससे भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी मंदिर पर कोई असर ना पड़े.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने ट्वीट कर ये भी बताया है कि मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा. मंदिर ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तांबे की प्लेटों का उपयोग करके पत्थरों को ब्लॉक किया जाएगा. प्लेटें 18 इंच लंबी, 30 मिमी चौड़ी और 3 मिमी गहराई में होनी चाहिए. अनुमान के मुताबिक मंदिर संरचना में ऐसी करीब 10,000 प्लेटों की जरूरत होगी. मंदिर ट्रस्ट ने रामभक्तों से अपील की है कि वो ऐसी तांबे की प्लेट उन्हें दान करें.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि सीआरबीआई रुड़की और आईआईटी मद्रास का मंदिर निर्माण में पूरा सहयोग लिया जा रहा है. 10 से 12 जगहों पर 60 मीटर की गहराई तक मिट्टी की जांच हुई है जिसके आधार पर भूकंप की स्टडी की जाएगी. उन्होंने बताया कि 30 से 35 मीटर गहराई 1 मीटर व्यास के गोल आकार में नींव लानी पड़ेगी. तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 खंभे होंगे. उम्मीद की जा रही है कि राम मंदिर 36 से 40 महीनों में बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा.
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