Ayodhya Ram Mandir: सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि विवादित जमीन के आसपास अधिग्रहित भूमि को उसके मूल मालिकों को लौटाया जाए. कोर्ट ने इसे मुख्य मामले के साथ टैग कर दिया है और उसके साथ-साथ इस पर भी अगली बार सुनवाई होगी.
नई दिल्ली. अयोध्या विवादित जमीन के आसपास अधिग्रहित खाली पड़ी अतिरिक्त जमीन को रिलीज करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में मोदी सरकार ने जमीन को उसके मूल मालिकों को सौंपने की मांग की है. अयोध्या केस की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ही मुख्य केस के साथ अगली तारीख पर इसकी भी सुनवाई करेगी. 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार ने गैर-विवादित 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटाने की इजाजत मांगी थी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि वर्तमान स्थिति को हटाया जाए.
साल 1993 में अयोध्या विवादित स्थल के आसपास की करीब 70 एकड़ भूमि का केंद्र सरकार ने अधिग्रहण एक्ट के तहत अधिग्रहण कर लिया था. इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. तब इस्माइल फारूकी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में तमाम दावेदारी वाली अर्जी को बहाल कर दिया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमीन अपने पास रखने का आदेश दिया और कहा था कि जिसके पक्ष में फैसला आएगा, उसे जमीन दी जाएगी. सरकार ने याचिका में कहा कि सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही विवाद है. लिहाजा बाकी जमीन पर यथास्थिति की जरूरत नहीं है. सरकार के इस फैसले का विश्व हिंदू परिषद्, आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया था.
मोदी सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाया था. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने साल 2003 के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि जब तक मामले का अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक निर्विवादित भूमि सहित पूरी जमीन पर यथास्थिति बनी रहेगी. सिंघवी ने कहा, कोर्ट का फैसला बिल्कुल साफ है, लेकिन चुनाव से पहले उस फैसले को बदलने के सरकार के कदम पर सवाल उठ रहा है.