नई दिल्ली: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या लोगों के लिए बहुत खास महत्व(Ayodhya Ram Mandir) रखती है। यह सनातन प्रेमियों से लिए वह नगरी है, जो आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वों को जोड़े हुए है। करीब 500 साल की लंबी लड़ाई के बाद अब अयोध्या में बना प्रभु श्रीराम का मंदिर सनातन प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखता है।
बता दें कि रामलला के पटवारी यानी चंपत राय भी सुर्खियों में बने हुए हैं और समय-समय पर ये अयोध्या राम मंदिर और 22 जनवरी 2024 को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से जुड़ी जानकारियां साझा कर रहे हैं। बता दें कि अयोध्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे चंपत राय मुख्य लोगों में एक हैं। यह कार्यक्रम कैसा होगा, कार्यक्रम की अवधि क्या होगी, इसमें कौन लोग शामिल होंगे और जनमानस के लिए रामलला के दर्शन कब से होंगे आदि से जुड़े सभी सवालों के जवाब मीडिया व पत्रकारों को चंपत राय ही दे रहे हैं। लेकिन चपंत राय आखिर कौन हैं और राम मंदिर में क्या है इनकी भूमिका? चलिए आइये जानते हैं इनके बारे में-
बता दें कि चंपत राय का जन्म 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश(Ayodhya Ram Mandir) के बिजनौर जिले की नगीना तहसील में रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के घर पर हुआ था। चंपत राय अपने 10 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। बहुत कम उम्र में ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए और संघ के विचारों का खूब प्रचार-प्रसार किया। अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद ये धामपुर के आश्रम में डिग्री कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर बन गए और नौकरी करने लगे।
जानकारी दे दें कि 1991 में चंपत राय क्षेत्रीय संगठन मंत्री के तौर पर अयोध्या आए। साल 1996 में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री बने और 2002 में संयुक्त महामंत्री और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बने। इस समय वह विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण को लेकर सामाजिक आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई में चंपत राय की अहम भूमिका रही है। बता दें कि चंपत राय ने शादी नहीं की और अपने घर भी कभी-कभार ही जाते हैं। चंपत राय ने ही रामजन्मभूमि से जुड़े तमाम फाइलों व साक्ष्यों को अपने कक्ष में रखा था और प्रतिदिन वकीलों को कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए नए-नए साक्ष्य उपलब्ध कराने, वकीलों से साथ कोर्ट जाना, सुनवाई के दौरान धैर्य बनाए रखने की जिम्मेदारी चंपत राय ने बखूबी निभाई। रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण के लिए चंपत राय की अहम भूमिका को देखते हुए लोग इन्हें प्यार से रामलला का पटवारी कहते हैं। इस दौरान राम मंदिर का निर्माण कार्य और प्राण-प्रतिष्ठा(Ayodhya Ram Mandir) के कार्यक्रम का काम भी चंपत राय की निगरानी में ही हो रहा है।
सरकारी नौकरी से दिया इस्तीफा
साल 1975 में इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल की घोषणा की उस समय चंपत राय कॉलेज में प्रवक्ता थे। बता दें कि उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस कॉलेज पहुंच गई। ऐसा कहा जाता है कि चंपत राय इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर गिरफ्तार हुए थे।
आपको बता दें कि चंपत राय करीब 18 महीने तक उत्तर प्रदेश के जेल में रहे और इस दौरान उन्हें अलग-अलग जिलों में ट्रांसफर किया गया था। वहीं, जेल में रहने के दौरान उनका संकल्प और दृढ़ हुआ और वो एक अलग ही व्यक्ति के रूप में सामने आए। आपातकाल खत्म होने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया और विश्व हिंदू परिषद का हिस्सा बन गए।
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