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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में होंगे 2 मंडप और 9 हवन कुंड का निर्माण, जानें हर हवन से जुड़ा उद्देश्य

नई दिल्ली: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 70 एकड़(Ayodhya Ram Mandir) भूमि में बने नवनिर्मित और भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होनी है। राम मंदिर के उद्घाटन में अब बहुत कम समय बचा है, ऐसे में तैयारियां खूब जोरों- शोरों पर है। जानकारी के अनुसार, राम मंदिर […]

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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में होंगे 2 मंडप और 9 हवन कुंड का निर्माण, जानें हर हवन से जुड़ा उद्देश्य
  • January 3, 2024 6:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्ली: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 70 एकड़(Ayodhya Ram Mandir) भूमि में बने नवनिर्मित और भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होनी है। राम मंदिर के उद्घाटन में अब बहुत कम समय बचा है, ऐसे में तैयारियां खूब जोरों- शोरों पर है।

जानकारी के अनुसार, राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। क्योंकि पूजा की प्रकिया 16 जनवरी से ही पूरे विधि-विधान से शुरू हो जाएगी। साथ ही 2 मंडप और 9 हवन कुंड भी तैयार किए जा रहे हैं। बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा की पूजा देशभर के 121 पंडित द्वारा संपन्न होगी। प्रत्येक हवन कुंड से विशेष महत्व और उद्देश्य भी जुड़ा है।

इन चीजों से तैयार होगा हवन कुंड

जानकारी दे दें कि राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा(Ayodhya Ram Mandir) पूजन के लिए 9 हवन कुंड तैयार किए जा रहे हैं। हवन कुंड निर्माण के लिए बालू, मिट्टी, गोबर, ईंट, पंचगव्य और सीमेंट आदि जैसी सामग्रियों का प्रयोग किया जा रहा है।

आठ दिशाओं के लिए बनेंगे हवन कुंड

हवन कुंड के निर्माण में आकार ऊंचाई,लंबाई, चौड़ाई और गहराई आदि का खास ध्यान रखा जा रहा है। शास्त्रीय पद्धति को ध्यान में रखते हुए आठ दिशाओं के लिए आठ हवन कुंड बनाए जा रहे हैं। वहीं एक हवन कुंड आचार्य के लिए बनाया जाएगा।

9 हवन कुंड, 9 उद्देश्य और आठ दिशा

दिशा                              हवन कुंड                                           उद्देश्य

  • पूर्व                               चौकोर कुंड                                       सर्व सिद्धि दायक
  • आग्नेय                            योनि कुंड                                       पुत्र प्राप्ति और कल्याण
  • दक्षिण                           अर्धचंद्राकार कुंड                                   कल्याणकारी
  • नैऋत्य                           त्रिकोण कुंड                                        शत्रु नाश के लिए
  • पश्चिम                            वृत्ताकार कुंड                                       सुख-शांति के लिए
  • वायव्य                            षडस्त्र कुंड                                        मारण और उच्छेद
  • उत्तर                              पद्म कुंड                                           वर्षा के लिए
  • ईशान                            अष्टासत्र कुंड                                       आरोग्य के लिए
  • ईशान और पूर्व के मध्य         आचार्य कुंड                                         समस्त सुखों के लिए

पूजा के लिए बनेंगे दो मंडप

बता दें कि मुख्य मंदिर के सामने 45-45 हाथ के 2 मंडप का भी निर्माण होगा। एक मंडप में श्रीगणेश और राम जी के पूजन से लेकर समस्त पूजन कार्य होंगे और वहीं दूसरे मंडप में रामजी के विग्रह से जुड़े संस्कार होंगे।

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