अयोध्या/नई दिल्ली। रामनगरी अयोध्या उत्सव तथा आनंद के रस में डूबा हुआ है। लगभग 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद राम-भक्तों की मनोकामना पूरी होने जा रही है। रामलला अपने बाल रूप में गर्भगृह में विराजेंगे। उनकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान जारी है। जो आज यानी 22 जनवरी 2024 को पूरा होगा। बता दें […]
अयोध्या/नई दिल्ली। रामनगरी अयोध्या उत्सव तथा आनंद के रस में डूबा हुआ है। लगभग 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद राम-भक्तों की मनोकामना पूरी होने जा रही है। रामलला अपने बाल रूप में गर्भगृह में विराजेंगे। उनकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान जारी है। जो आज यानी 22 जनवरी 2024 को पूरा होगा। बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सिर्फ 84 सेकंड का मुहूर्त मिल रहा है। इस दौरान ही प्रभु राम गर्भगृह में विराजमान होंगे।
सनातन धर्म में प्राण-प्रतिष्ठा एक पवित्र अनुष्ठान है जिसके द्वारा भगवान की प्रतिमा में दैवीय अंश स्थापित किया जाता है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान अयोध्या में जारी है। वैदिक अनुष्ठान के बाद आज गर्भगृह में विग्रह स्थापित किया जाएगा। बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद भगवान के विग्रह को आईना दिखाया जाता है, जो कि कभी-कभी टूट जाता है। ऐसा क्यों होता है? आइए बताते हैं।
नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान होने वाला अनुष्ठान पिछले सात दिनों से जारी है। आज गर्भगृह में रामलला का विग्रह स्थापित होगा। तब तक विग्रह की आंखों पर कपड़ा बंधा रहेगा। प्राण-प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद प्रतिमा की आंखों में बंधा वस्त्र हटाया जाएगा। इस दौरान विग्रह में तेज पुंज स्थापित हो जाता है। बता दें कि प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान नेत्रोन्मूलन विधि होती है जिसमें विग्रह की आंखों पर बंधा हुआ वस्त्र खोलते हैं और आंखों में मधु (शहद) लगाई जाती है।
नेत्रोन्मूलन की प्रक्रिया के बाद रामलला की आंखों में काजल लगाया जाएगा। इसके बाद प्रतिविंब दर्शन की विधि पूरी होगी। प्रतिविंब दर्शन की बात करें तो मान्यताओं के अनुसार, प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान विग्रह के नेत्रों में ऊर्जा आती है। मंत्रों के उच्चारण से विग्रह में जो असीमित वेग आ जाता है उससे किसी भी तरह की हानि ना हो इसके लिए प्रतिविंब दर्शन कराया जाता है। बता दें कि नेत्रों से जो तेज निकलता है उसके कारण आईना टूट जाता है।